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चलकोई फाउंडेशन, मोट्यार परिषद, डूंगर कॉलेज एकसाथ, राजस्थानी के स्टूडेंट्स को बड़ी सौगात

RNE Bikaner.

बीकानेर में गुरुवार को मायड़ यानी राजस्थानी भाषा पर केन्द्रित एक अनूठा आयोजन हुआ। बड़ी तादाद में स्टूडेंट्स और युवाओं की भागीदारी के बीच यहाँ राजस्थान भाषा में एमए करने वाले स्टूडेंट्स को सौगात दी गई। इसके साथ ही मायड़ भाषा के साहित्य, इतिहास, संभावनाओं और मान्यता के मुद्दे पर गंभीर विमर्श हुआ।

दरअसल यह आयोजन चलकोई फाउंडेशन की ओर से छात्रवृति वितरण और व्याख्यान का था। इसमें फाउंडेशन के साथ ही राजकीय डूंगर महाविद्यालय, राजस्थानी मोट्यार परिसद संयुक्त रूप से भागीदार रहे।

डूंगर कॉलेज के राम रंगमंच पर हुए समारोह में चलकोई फाउंडेशन के संस्थापक राजवीर सिंह चलकोई ने बीकानेर के युवाओं से कहा कि राजस्थान ने आजादी के लिए लड़ना सिखाया हैं अपनी मातृ भूमि को सींचने के लिए कोई अंग्रेजों से पहली बार नहर ले आया था, आप और हम मिलकर राजस्थानी भाषा की मान्यता नहीं ला सकते? युवा शब्द का उल्टा पढ़ें तो वायु बनता है और युवाओं की ये भीड़ और उत्साह देखकर लगता हैं ये पीढ़ी राजस्थानी की मान्यता लेकर रहेगी।

राजकीय डूंगर महाविद्यालय के प्रिंसिपल राजेंद्र पुरोहित ने राजवीर सिंह चलकोई का धन्यवाद दिया एवं उनके इतिहास कला एवं संस्कृति के प्रति प्रेम को सराहा। डॉ अन्नाराम शर्मा ने विद्यार्थीयो के हित में किए गए इस प्रयास को राजस्थानी भाषा के लिए संजीवनी बताया। मोटियार परिषद के रामनिवास कुकणा ने राजवीर सिंह चलकोई की इस मुहिम के लिए उन्हें एवं चलकोई फाउंडेशन को साधुवाद दिया।

डॉ.आचार्य, डॉ.मेघना को टेस्सीटोरी अवार्ड : 

इस अवसर पर राजस्थानी युवा समिति द्वारा एल पी टेसिटोरी सेवा सम्मान दिए गए। इनमें वर्ष 2023- 24 के लिए डॉ मेघना शर्मा को तथा 2024- 25 के लिए डॉ.सत्यप्रकाश आचार्य को सम्मानित किया गया। समिति अध्यक्ष अरुण राजपुरोहित एवं समिति के संस्थापक राजवीर सिंह चलकोई तथा हिमांशु शर्मा, प्रवीण मकवाना के हाथों सम्मान भेंट किया।

इन्होंने रखे विचार : 

वरिष्ठ भाजपा नेता सत्यप्रकाश आचार्य ने कहा कि सरकार की तरफ से राजस्थानी भाषा को लेकर सकारात्मक संदेश मिलने वाला है। इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ मेघना शर्मा ने कहा कि राजस्थानी भाषा को जल्दी मान्यता मिलनी चाहिए ताकि राजस्थान की संस्कृति को संरक्षण मिल सके। डॉ भगवानाराम बिश्नोई, मोट्यार परिसद के डॉ गौरीशंकर प्रजापत,डॉ हरिराम बिश्नोई, युवा नेता कृष्ण गोदारा, युवा नेता हरिराम गोदारा, रामावतार उपाध्याय, डॉ नमामि शंकर आदि ने विचार रखे।

कैसी स्कॉलरशिप, क्या व्याख्यान : 

“राजस्थान के इतिहास लेखन परम्परा में राजस्थानी साहित्य की भूमिका” पर व्याख्यान हुआ। इसके साथ ही चलकोई फाउंडेशन की ओर से छात्रवृति वितरण हुई। चलकोई फाउंडेशन पूरे राजस्थान में नियमित एम. ए. (पूर्वार्ध) के विद्यार्थियों की फीस भर रही हैं और इसके पीछे उनका उद्देश्य युवाओं का राजस्थानी के प्रति रुझान बढ़ाना हैं। इसके एक मकसद यह भी है कि राजस्थान में कोई राजस्थानी विषय की सीट खाली ना रहे। इस प्रयास का नतीजा यह रहा है कि पूरे राजस्थान में सभी जगह लगभग शत प्रतिशत राजस्थानी साहित्य में नियमित एम. ए. की सीटे भरी हैं।