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Camel Festival 2025 : अमरसिंह की गरज, हाडी की अरज और दाद पर दाद ‘क्या कैणी है…’

RNE Bikaner

बीकानेर परकोटे में सजा-धजा बैदों का चौक। जिस जगह सब्जी की दुकानें लगी होती है वहां बादशाह का दरबार लगा है। जहां आमतौर पर ‘आलू…भिंडी.., टमाटर…’ जैसी सब्जियों की टेर लगती है वहां नगाड़े बज रहे हैं और तलवार लहराते अमरसिंह राठौड़ गूंज रहे है ‘म्हांने सीख दिरावो टीको आयो है हाडा राव रो…।’ इसके साथ ही श्रोताओं की भारी भीड़ से मिल रही थी दाद ‘क्या कैणी है…।’

माहौल ऐसा कि जनवरी की भरी सर्दी में होली का अहसास होने वाला। वजह, बीाकनेर के परकोटे में अमरसिंह राठौड़ के ये संवाद रम्मत में सुनाई देते हैं। आज अचानक एक बार रम्मत मंडी और देखने-सुनने बीकानेर के ही नहीं देश-दुनिया के सैलानी आ धमके। मौका था बीकानेर में शुरू हुए तीन दिवसीय ऊंट उत्सव के आगाज का।

दरअसल ऊंट उत्सव का आगाज बीकानेर के नगरसेठ लक्ष्मीनाथ मंदिर से शुरू हुई शोभायात्रा के साथ हुआ। जिस रास्ते से यह यात्रा गुजरी वह पूरा रास्ता बीकाणै की संस्कृति, खान-पान और कला कौशल की मिनी यात्रा हो गई। सजे-धजे, नाचते-गाते रौबीलों की मौजूदगी में लक्ष्मीनाथ पार्क परिसर में खास संगीतमयी आयोजन के सथ यात्रा शुरू हुई। यहां शास्त्रीय और लोक गायक नारायणदास रंगा ने अपने खास अंदाज में मीरा के भजन ‘म्हैं तो भवसागर तर जास्यां ए माय…’ सहित कई प्रस्तुतियां दी।

लक्ष्मीनाथ मंदिर से रवाना हुआ यह कारवां बड़ा बाजार, बैदों का चौक, मोहता चौक, होते हुए रामपुरिया हवेलियों तक पहुंचा।‘

इस दौरान कहीं घेवर बनते नजर आये तो कहीं खास बीकानेरी कचौड़ी-पकौड़ी का स्वाद यात्रियों ने उठाया। कहीं रबड़ी के सबड़के चले तो कहीं कुल्हड़ में केशरतवाला दूध। कशीदाकारी की झलक दिखी तो कहीं चित्रकारी ने भी ध्यान खींचा। बंधेज वाले कपड़े और मिट्टी के बरतनों की मोलभाव भी सैलानियों ने की। इसके साथ ही दिखी वे हवेलियां जिन्हें बीकानेर आने वाला हर शख्स एक बार जरूर देखना चाहता है। ऐसे मं यह छोटी-सी हैरिटेज वॉक पूरे बीकानेर का दर्शन करवा गई। तन्मयता से देखने वाले हर दृश्य को कैमरे में कैद करने का मोह रोक नहीं पा रहे थे। ये कैमरे अचानक तब उन रौबीलों और बीकानेरवासियों की ओर मुड़ जाते जब जोर से उद्घोष लगता ‘..ध्वजा…बंद… धारी ने खोम्मा….।

2025 फीट लम्बी पगड़ी का रिकॉर्ड बनाया :

 

वॉक के दौरान लोक कलाकार पवन व्यास ने 2 हजार 25 फिट लंबी पगड़ी बांध कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। इस दौरान नगाड़ा, मश्क, चंग और बांसुरी वादन एवं भजन गायन की प्रस्तुतियां दी गई। देशी और विदेशी सैलानी मथेरण, बंधेज, पोट्री, सुनहरी कलम और साफा बांधने की कला को करीब से देखा। इस दौरान लोक कलाकार, रोबीले और सजे-धजे ऊंट भी साथ रहे। भांडाशाह जैन मंदिर के पास हरियाणवी रागड़ी की प्रस्तुति दी गई। चूड़ी बाजार में लाख की चूड़ी बनाने, जूती बनाने, चाक पर मिट्टी के बर्तन बनाने की कला को दर्शाया गया। सब्जी बाजार की ऐतिहासिक चौकी पर आयोजित शहर की ऐतिहासिक रम्मत का सबके आकर्षण का केन्द्र रही।

अधिकारी भी उत्सव की मस्ती में :

दरअसल शुक्रवार को हेरिटेज वॉक के साथ तीन दिवसीयऊंट उत्सव का आगाज हुआ। इस वॉक में जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि, पुलिस अधीक्षक कावेन्द्र सिंह सागर, निगम आयुक्त मयंक मनीष, बीडीए सचिव अपर्णा गुप्ता, सीईओ सोहनलाल, पर्यटन विभाग के उपनिदेशक अनिल राठौड़, सहायक निदेशक किशन कुमार, जिला पर्यटन अधिकारी पवन शर्मा सहित अन्य पुलिस प्रशासन अधिकारियों ने शिरकत की। इस अवसर पर जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि ने कहा कि बीकानेर की ऐतिहासिक विरासत हमारी साझी धरोहर है। इसके रंग पूरी दुनिया में पर्यटन मानचित्र पर बिखेरे हैं। इस उत्सव में आए सभी सैलानियों और स्थानीय प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए जिला कलेक्टर ने उनसे इस संस्कृति का हिस्सा बन कर इसे जीने का आह्वान किया।