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21 फरवरी को भोपाल में आयोजित समारोह में होंगे सम्मानित

RNE,BIKANER.

मूर्धन्य साहित्यकार-विचारक डॉ नन्दकिशोर आचार्य को वर्ष 2025 का राष्ट्रीय विष्णु खरे कविता सम्मान घोषित हुआ है। वनमाली सृजनपीठ, भोपाल द्वारा विष्णु खरे की स्मृति में स्थापित यह सम्मान डॉ आचार्य को 21 फरवरी को रवीन्द्र भवन, भोपाल में आयोजित कविता सम्मान समारोह में अर्पित किया जाएगा। हिन्दी के कथा साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले लेखक, चिंतक और शिक्षाविद् जगन्नाथ प्रसाद चौबे ‘वनमाली’ की स्मृति में स्थापित वनमाली सृजनपीठ आइसैक्ट ग्रुप ऑव यूनिवर्सिटीज, भोपाल द्वारा संचालित की जा रही है।

गाँधी-दृष्टि पर केन्द्रित अहिंसा-शान्ति विमर्श को नयी और समग्र दृष्टि से विवेचित करते हुए डॉ आचार्य ने आधुनिक समय में एक ऐसे विचारक के रूप में ख्याति अर्जित की है जो विभिन्न अनुशासनों और विचारों को एक साथ साधते हुए न केवल मानव अस्तित्व पर आए संकटों को पर मानवीय दृष्टिकोण से विवेचना कर हमारे समय की बहुतेरी समस्याओं के मूल की गहनता से पड़ताल करते हैं बल्कि उनके निदान में सहायक हो सकने वाले तरीक़ों से हमें अवगत करवाते है।

एक कवि और आलोचक के रूप में डॉ आचार्य की ख्याति हिन्दी जगत में तब से हैं जब उन्होंने अज्ञेय की काव्यतितीर्षा आलोचना कृति से अज्ञेय की काव्य यात्रा को बिल्कुल अलग दृष्टि से पाठक जगत के सामने रखा। अज्ञेय द्वारा संपादित चौथा सप्तक में शामिल डॉ आचार्य को साहित्य अकादमी सम्मान, मीरा पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी सम्मान सहित अनेक सम्मान और पुरस्कार मिले हैं।

प्राकृत भारती, जयपुर में अतिथि लेखक के रूप में अहिंसा विश्वकोश तथा अहिंसा-शान्ति ग्रंथमाला के संपादक रहे डॉ आचार्य आजकल आईटीएम विश्वविद्यालय, ग्वालियर में ऐमेरिटस प्रोफेसर के रूप में लोहिया ग्रंथमाला पर कार्य कर रहे हैं। डॉ आचार्य के अब तक बाईस कविता-संग्रह, आठ नाटक, ग्यारह साहित्य आलोचना की पुस्तकों के अलावा अहिंसा-दर्शन, गाँधी विचार, मानवाधिकार, शिक्षा और संस्कृति आदि पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।