Skip to main content

रंग आनंद 2025: नाटक के हर क्षेत्र में किया है काम, अभिनय से मंच पार्श्व तक सक्रिय, पांचवां अवार्ड फिर समर्पित रंगकर्मी को

RNE Special.

राज्य स्तरीय ‘ रंग आनंद ‘ नाट्य समारोह अब अपनी खास पहचान बना चुका है। अपने बूते पर आयोजित होने वाले इस नाट्य समारोह की खासियत ये है कि ये केवल आयोजक संस्था संकल्प नाट्य समिति का आयोजन नहीं, अपितु बीकानेर के हर समर्पित रंगकर्मी का अपना आयोजन है।

बीकानेर के समर्पित रंगकर्मी अपनी पहल से इसमें श्रम करते हैं और तन, मन, धन से जुड़ते हैं। नाटक के लिए भी किसी को कहना नहीं पड़ता, अपनी पहल से संस्था व निर्देशक कहते हैं कि इस बार हम समारोह में नाटक करेंगे। बीकानेर के रंगकर्मियों के प्रतिनिधित्व के कारण ये समारोह खालिस बीकानेर के रंगकर्मियों का अपना आयोजन बनता है।

इसके अलावा अब इस आयोजन से जुड़ी ही रम्मत, जोधपुर की संस्था। वो भी इसे अपना नाट्य यज्ञ मानती है और भागीदारी करती है। रंग निर्देशक आशीष देव चारण की भारतीय रंगमंच में अपनी खास पहचान है। संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली के उस्ताद बिश्मिल्लाह खान अवार्ड से सम्मानित आशीष इस आयोजन को अपना आयोजन मानते हैं।

रंग आनन्द अवार्ड:

आयोजक संस्था को इस बात का अहसास हुआ कि रंगकर्मियों के लिए अवार्ड की यानी प्रोत्साहन की गतिविधियां सीमित है। राज्य की संगीत नाटक अकादमी तो 5 साल में एक साल भी बमुश्किल चलती है। इस सूरत में हर साल एक रंगकर्मी को रंग आनंद अवार्ड देने का भी निर्णय किया गया।

किसी से कोई आवेदन नहीं लेना। सामूहिक रूप से निर्णय करना, यही प्रक्रिया रखी। जो रंगकर्मी सक्रिय है या जिसका रंगमंच को खास योगदान है, उसे अवार्ड देना, यही लक्ष्य है। इस कारण रंग आनंद अवार्ड भी अपनी गरिमा बनाने में सफल रहा है।

अब तक इनको रंग आनंद अवार्ड:

रंग आनंद अवार्ड अब तक 4 रंगकर्मियों को दिया जा चुका है और इस बार 5 वें रंगकर्मी को दिया जायेगा। ये अवार्ड अब तक जिनको मिला है, उनकी विगत ये है::

1.. आशीष देव चारण:

युवा रंग निर्देशक आशीष ने पूरे हिंदी रंगमंच में अपनी अलहदा और खास पहचान बनाई है। विरासत में इनको रंगकर्म मिला है। नाट्य गुरु डॉ अर्जुन देव चारण के सानिध्य में इनका रंगकर्म शुरू हुआ। देश के हर प्रतिष्ठित नाट्य समारोह में आशीष की भागीदारी रही है।

बाल रंगमंच के लिए भी आशीष ने बड़ा काम किया है और लगातार सक्रिय है। अब वे खुद अभिनेता के बाद निर्देशक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली ने उनको उस्ताद बिश्मिल्लाह खान अवार्ड से भी नवाजा है।

2.. प्रदीप भटनागर:

बीकानेर के वरिष्ठ रंगकर्मी प्रदीप भटनागर अकेले ऐसे कलाकार हैं जो 5 दशक से भी ज्यादा समय से सक्रिय हैं। बीकानेर में एक समय में कोई भी नाटक हो, उसमें मुख्य किरदार इन्हीं का होता था। इनको बीकानेर रंगमंच का प्रयाय कहा जाए तो गलत नहीं होगा।

अनेक नाट्य निर्देशकों से इन्होंने प्रशिक्षण लिया है। देश के अनेक हिस्सों में नाट्य प्रस्तुतियों के भागीदार रहे हैं। नाटक के सैद्धांतिक पहलुओं पर गहरा अध्ययन है। सबसे बड़ी बात, अब भी नाटक कर रहे हैं। उससे बड़ी बात, युवाओं को प्रोत्साहित कर बीकानेर रंगमंच की मशाल को लगातार प्रज्ज्वलित किये हुए हैं। प्रदीप जी बीकानेर रंगमंच की रीढ़ की हड्डी है।

3.. एस डी चौहान:

एक प्रतिभावान रंग निर्देशक व अभिनेता चौहान साहब की बीकानेर रंगमंच को बहुत बड़ी देन है। अनेक चर्चित नाटकों का इन्होंने निर्देशन किया और कई नाट्य प्रशिक्षण शिविर लगाकर नये कलाकार तैयार किये।
चौहान साहब को बीकानेर में पहली बार पेंटो माइम का स्वतंत्र शो करने का गौरव हासिल है। नाटक के तकनीकी पक्ष की उनको गहरी समझ है। उनके योगदान को बीकानेर रंगमंच कभी भूल नहीं सकता।

4.. पुष्पा जैन:

सामंती मानसिकता वाले बीकानेर शहर में महिला अभिनेत्री का होना नामुमकिन था। महिलाओं को मंच पर आने की एक तरह से इजाजत भी नहीं थी। उस दौर में सामाजिक जड़ताओं को तोड़कर नाटक में अभिनय करने की पहल करने वाली महिला रंगकर्मी थी पुष्पा जैन। समाज के ताने सुने मगर इस कलाकर्म को जारी रखा।

और इस बार बुलाकी भोजक:

इस बार का रंग आनंद अवार्ड वरिष्ठ रंगकर्मी बुलाकी भोजक को दिया जा रहा है। 5 दशक से वे भी बीकानेर रंगमंच का अभिन्न अंग बने हुए हैं। बुलाकी जी की खासियत ये है कि वे अभिनेता भी है, निर्देशक भी, मेकअप भी करते हैं, मंच सज्जा में भी महारत हासिल है। मुक्कमिल रंगकर्मी हैं वे। कोई भी संस्था उनको सहयोग के लिए बुलाये, वे तुरंत पहुंचते हैं।

वर्जन

प्रदीप भटनागर

रंग आनंद अवार्ड एक ऐसा सम्मान है जिसे पाने की चाह हर रंगकर्मी को होने लगी है। क्योंकि इसमें आयोजक संस्था का कोई दबाव नहीं होता, साथी रंगकर्मी जो तय करते हैं उसे मान लिया जाता है। रंग आनंद नाट्य समारोह अब बीकानेर के हर रंगकर्मी को अपना लगता है, यही तो नाटक की मूल भावना है। उत्तरोत्तर इस समारोह की गरिमा बढ़ेगी, क्योंकि ये पुनीत रंग यज्ञ है। जिसमे आहुति देकर हर रंगकर्मी अपने को धन्य मानता है।