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प्रोफेसर सीखेंगे कम्पनियों से काम, फेलोशिप भी मिलेगी, मांग के अनुरूप सिलेबस तैयार करने का होगा नया प्रयोग

RNE Network

उद्योग व इंजीनियरिंग संस्थानों के बीच तालमेल बिठाने के लिए अब प्रोफेसर कम्पनियों में जाकर उनके काम को समझेंगे, ताकि उन्हें पता लग सके कि उनकी जरूरतें क्या है।वे इसी के हिसाब से सिलेबस डिजाइन कर छात्रों को तैयार करेंगे। इसके लिए प्रोफेसरों को फेलोशिप भी दी जायेगी। केंद्र सरकार ने इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्रोफेसरों को इंडस्ट्री में जाकर फेलोशिप करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।योजना के तहत शैक्षणिक सत्र 2025-26 से देश भर के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों के 45 साल तक के प्रोफेसर आवेदन कर सकेंगे। योजना का लाभ उठाने के लिए पहले पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। फेलोशिप करने वाले प्रोफेसर को वेतन तो मिलेगा ही, हर महीने एक लाख रुपये फेलोशिप के भी मिलेंगे।इसका मकसद अधिक से अधिक प्रोफेसर को इंडस्ट्री से जोड़ना है। इंडस्ट्री उन्हें अपनी जरूरतों के आधार पर तैयार करने की ट्रेनिंग देगी। वे छात्रों को तैयार करेंगे। इससे अधिक विद्यार्थियों को प्लेसमेंट की संभावना बढ़ेगी।

योजना के ये हैं ध्येय

  1. नये जमाने के रोजगार के लिहाज से युवाओं को तैयार करने से पहले शिक्षकों को तैयार करना
  2. इस प्रशिक्षण से प्रोफेसर बेहतर ढंग से विद्यार्थियों को तैयार कर सकेंगे
  3. अधिक विद्यार्थियों के प्लेसमेंट की संभावना बढ़ेगी