
हाईकोर्ट का निर्णय, सास भी घरेलू हिंसा कानून के तहत मानी जायेगी पीड़िता
RNE Network.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सास भी घरेलू हिंसा कानून के तहत पीड़िता हो सकती है। अगर बहु या उसके परिवार का कोई सदस्य सास को मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता है तो सास बहु के खिलाफ केस दर्ज करा सकती है।यह फैसला जस्टिस आलोक माथुर ने ‘ स्मृति गरिमा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य ‘ मामले में सुनाया। कोर्ट ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 12 की व्याख्या करते हुए कहा कि यह कानून सिर्फ बहुओं की सुरक्षा तक सीमित नहीं है। मामले में एक सास ने आरोप लगाया था कि बहु और उसके परिवार ने उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।