
SDM Hospital Bikaner : Special New Born Care Unit में इलाज से 950 ग्राम वजनी नवजात ठीक
RNE Bikaner.
यूं तो किसी भी हॉस्पिटल में हर दिन बीसियों मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज होते हैं लेकिन शनिवार को बीकानेर के SDM District Hospital में एक मरीज की जब छुट्टी हो रही थी तो उसके परिजनों से कहीं अधिक खुशी हॉस्पिटल के डॉक्टर्स के चेहरे पर थी। इतना ही नहीं इस सरकारी हॉस्पिटल के सुपरिटेंडेंट से लेकर यूनिट इंचार्ज और नर्सिंग स्टाफ तक छुट्टी के वक्त इस विशेष मरीज से न केवल मिलने पहुंचा वरन इसके साथ फोटो भी लिया। अब यह फोटो वायरल हो रहा है।
यह किसी सेलेब्रिटी के हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने का नहीं है वरन एक नवजात बच्चे को हॉस्पिटल से छुट्टी देने का मौका है। बक़ौल हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट डॉ सुनील हर्ष “डॉक्टर-स्टाफ को खुशी इसलिए है क्योंकि ऐसा बच्चा हॉस्पिटल से ठीक होकर जा रहा था जिसका जन्म के समय वजन महज 950 ग्राम था। इतने कम वजन वाले बच्चों का बचना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में जिला मुख्यालय के इस सरकारी हॉस्पिटल में हाल ही शुरू हुई स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (SNCU) के संसाधनों और डॉक्टर-नर्सेज की 35 दिन तक लगन से हुई मेहनत रंग ले आई। शनिवार को जब बच्चे को छुट्टी दी गई तब वह न केवल 1600 ग्राम का हो चुका वरन किसी भी तरह की बीमारी से भी ग्रसित नहीं लगा।”
बच्चे के जन्म, कम वजन और ठीक होकर जाने की कहानी :
अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ प्रवीण चतुर्वेदी ने बताया कि 29 मार्च 2025 को जिला अस्पताल मे जन्मे नवजात बेबी ऑफ़ विमला निवासी लाखूसर को एसएनसीयू में भर्ती किया गया, तब उसका वजन मात्र 990 ग्राम था। अस्पताल की एसएनसीयू स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट की टीम ने इस नवजात को गहन देखभाल प्रदान की, बल्कि विशेष रूप से फेफड़ों की स्थिति एवं श्वास प्रक्रिया को सुधारने के लिए बबल सीपैप मशीन का उपयोग किया। साथ ही संक्रमण से बचाव के साथ साथ फोटोथेरेपी द्वारा पीलिया का भी उपचार किया गया।
कम वजन के साथ IUGR की दिक्कतें :
चिकित्सकों का कहना है कि इस प्रकार के अल्पवज़नी प्रिटर्म एवं इंट्रा यूटेराइन ग्रोथ रिडक्शन (IUGR) नवजात शिशुओं के जीवन को बचाना एक अत्यंत जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। इसमें विशेष देखभाल, तकनीकी विशेषज्ञता और संसाधनों की आवश्यकता होती है। यह इलाज निजी अस्पतालों में अत्यधिक महंगा होता है, लेकिन जिला अस्पताल में यह सेवा निशुल्क उपलब्ध कराई गई।
36 दिन हॉस्पिटल में दिन-रात देखभाल :
अस्पताल के शिशु एवं नवजात रोग विशेषज्ञ डॉ मनीष पुष्करणा ने बताया कि लगभग 36 दिन के सतत चिकित्सकीय प्रबंधन, नर्सिंग प्रबंधन, पोषण प्रबंधन, ऑक्सीजन सपोर्ट, बबल सीपैप सपोर्ट, संक्रमण नियंत्रण और शिशु की मां के दूध की निरंतर व्यवस्था, कंगारू मदर केयर के कारण अब इस नवजात का स्वास्थ्य बेहतर हो चुका है और उनका वजन सुरक्षित स्तर 1.6 किलोग्राम तक बढ़ चुका है। अस्पताल अधीक्षक डॉ सुनील हर्ष ने एसएनसीयू यूनिट की इस चुनौतीपूर्ण एवं उल्लेखनीय उपलब्धि हेतु विभागाध्यक्ष डॉ प्रवीण चतुर्वेदी, डॉ मनीष पुष्करणा, डॉ अमृता भार्गव, यूनिट नर्सिंग इंचार्ज अमित वशिष्ठ, सुशीला, गजेंद्र, कौशल आदि नर्सिंग स्टाफ की पूरी टीम को बधाई दी।
जानिए कैसी है डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल कि SNCU :
अधीक्षक डॉ सुनील हर्ष ने बताया कि जिला अस्पताल मे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत संचालित एसएनसीयू यूनिट मे अब तक चार सौ से अधिक नवजात शिशुओं का सफलतापूर्वक इलाज किया जा चुका है। इनमें पीलिया, सेप्टिसीमिया, एपिलेप्सी अथवा कमेडा और बेहोशी, प्रिमेच्योर और लो एवं वेरी लो बर्थ वेट, श्वास रोग, मिकोनियम एस्पिरेशन इत्यादि समस्याओं से ग्रसित नवजात शामिल है। जिला अस्पताल के नव संचालित एसएनसीयू मे अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ वेंटीलेटर, बबल सी-पेप, रेडियेट वार्मर, फोटोथेरेपी मशीन इत्यादि के साथ साथ नवजात की माताओ के लिए भी एमएनसीयू (मातृ एंड न्यूबॉर्न केयर यूनिट) मे रहने और खाने की भी निःशुल्क सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। इस नवजात का संपूर्ण उपचार एवं देखभाल मुख्यमंत्री निशुल्क दवा और जांच योजना के अंतर्गत निशुल्क किया गया है।