
NARSINGH MELA BIKANER : कोड़े फटकारते काले लबादे वाले हिरण्यकश्यप को सिंहमुखी नृसिंहदेव ने जांघ पर रख चीर डाला
- नृसिंह चतुर्दशी : बीकानेर के लखोटिया चौक, डागा, चौक, लालाणी चौक सहित दसियों जगह मेले
RNE Bikaner.
पैर से सिर तक काला लबादा। मुंह पर भयानक मुखौटा। हाथ में मोटा काड़ा। दौड़ता,कूदता कोड़ा फटकारता यह शख्स देखने में ही ऐसा डर पैदा करता कि बच्चों की चीख निकल जाती। सड़क के दोनों ओर खड़े सैकड़ों लोगों के बीच जहां मन किया वहां किसी एक को कोड़ा मार दिया। इसके पीछे-पीछे भाग रहे बीसियों लोग लय में उद्घोष्ज्ञ लगाय जा रहे थे ‘हिरणा रे किसाना गोविंदा पैळाद भजे..’।
यह नजारा है बीकानेर के लखोटिया चौक, डागा चौक, लालाणी व्यासों का चौक, नत्थूसरगेट सहित उन दसियों चौक-मोहल्लों का जहां रविवार को नृसिंह चतुर्दशी के मौके पर पर भरे मेलों की।
यहां हिरण्यकश्यप का स्वांग धरे काले लबादों वाले शख्स ने देर तक आततायी की भूमिका निभाई। कुछ ही देर में मंदिरों के आगे पाटे पर भक्त प्रहलाद बने बच्चों को बिठाया गया। इनके आते ही उद्घोष गूंजा-प्रहलाद भक्त की जय।
रोमांच तक परवान पहुंच गया जब नृसिंहावतार का समय आया। इसके लिए बाकायदा मंदिरों में चमकीले कागजों से खंबे बनाये गये। इन खंबों को चीर कर निकले पीतवस्त्रधारी नरसिंहदेव जिनका सिर सिंह का। हथेलियां भी सिंह के की खाल जैसे दास्तानों से ढंकी और झपट पड़ने के अंदाज में कंपन करती। मंदिर में ताल ठोंकने के बाद ज्योंहि नृसिंह देव चौक में पधारे सैकड़ों कंठों से एक साथ गूंजा ‘नृसिंह देव की जय।’
नृसिंहावतार उस जगह आ खड़े हुए जहां भक्त प्रहलाद बैठे थे। मायना यह कि भक्त प्रहलाद को उसके आततायी पिता हिरण्यकश्यम से बचाने का दृश्य। अब हिरण्यकश्यप की दौड़ भी बार-बार नृसिंहावतार की ओर होने लगी। वह ज्योंहि उनके आगे पहुंचता लोग रोककर पीछे ले जाते। एकबारगी इतना आगे पहुंचा कि नृसिंहदेव ने झपटकर सिर का सींग तोड़ दिया। दूसरी बार भी सींग टूटा।
वक्त जब गोधूलि वेला का आया और हिरण्यकश्यप नृसिंहदेवी की ओर बढ़ा तो इस बार झपटकर पकड़ लिया। उठाकर जांघों पर रखा। उसकी छाती पर दोनों हाथ रखकर चीर डालने का अभिनय किया और नगाड़े, शंख, झालर बजने लगे। नृसिंहदेव के जयकारे गूंजने लगे। मंदिरों में आरती शुरू हुई और पंचामृत वितरण के साथ नृसिंहलीला के मेलों का समापन हुआ।