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कांग्रेस की पहली सूची बताती है कि राज्य में भी वरिष्ठ नेता लोकसभा चुनाव लड़ेंगे

मनोज आचार्य

आरएनई, बीकानेर

भाजपा की पहली सूची जारी होने के बाद कल कांग्रेस ने भी अपने 39 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। इस सूची में 9 राज्यों के लिए उम्मीदवार घोषित किये हैं। इस सूची में उत्तर भारत का केवल एक राज्य छत्तीसगढ़ है। बाकी राज्य दक्षिण भारत व पूर्वोत्तर के है। कांग्रेस ने इस बार के चुनाव में दक्षिण व उत्तर भारत के लिए अलग अलग चुनावी रणनीति बनाई है। कांग्रेस दक्षिण भारत में मजबूत है इसलिए अकेले ही मैदान में उतरी है। खासकर केरल, कर्नाटक, तेलंगाना में।कांग्रेस की 39 उम्मीदवारों की सूची को गहनता से देखें तो कई रोचक तथ्य सामने आते हैं। कांग्रेस ने इस बार अपने बड़े नेताओं पर दांव लगाया है। वो किसी भी तरह का रिस्क नहीं ले रही। उसे पता है कि अगर इस बार चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा तो लगातार टूट रही पार्टी में और टूटन होगी। करो या मरो की नीति पर कांग्रेस ये चुनाव लड़ रही है।छत्तीसगढ़ उत्तर भारत का राज्य है और यहां कांग्रेस हाल ही में विधानसभा का चुनाव हारा है। इस राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, साहू को उतारकर कांग्रेस ने बड़ा दाव चला है। केरल में राहुल गांधी व शशि थरूर के अलावा इस बार कांग्रेस के संगठन महामंत्री के सी वेणुगोपाल को भी टिकट दिया गया है। जबकि वे वर्तमान में राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं। कर्नाटक में भी कई बड़े नेताओं को मैदान में उतारा गया है।इस सूची को देखकर लगता है कि कांग्रेस राजस्थान में भी यही प्रयोग दोहराएगी और कई वरिष्ठ नेताओं को लोकसभा का चुनाव लड़ायेगी। जिनमें वर्तमान विधायक व विधायक का चुनाव हार चुके नेता शामिल है। स्क्रीनिंग कमेटी की अब तक हुई बैठकों में इस विषय पर गंभीरता से चर्चा भी हो चुकी है।राजस्थान में पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस 25 में से एक भी सीट नहीं जीत पाई है। इस बार वो सूरत बदलना चाहती है। जिसका उसे अवसर भी है। विधानसभा चुनाव परिणाम के आधार पर देखा जाए तो 11 लोकसभा सीटें ऐसी है जिन पर कांग्रेस के लिए स्थितियां अनुकूल है। उन सीटों पर पार्टी ने मशक्कत की है। इसलिए माना जा रहा है कि कांग्रेस राज्य में पूर्व सीएम अशोक गहलोत, सचिन पायलट, गोविंद डोटासरा, शांति धारीवाल, गोविंद मेघवाल सहित कुछ युवा विधायको को चुनाव लड़ा सकती है।कांग्रेस आदिवासी पार्टी बाप व रालोपा से समझौते का भी सोच रही है। कांग्रेस चूरू से भाजपा का टिकट कटने से नाराज हुए राहुल कस्वां पर भी नजरें लागये हुए है। कांग्रेस इस बार भाजपा के उम्मीदवार घोषित होने के बाद ही अपने नाम घोषित करने की रणनीति पर चल रही है। कुल मिलाकर कांग्रेस इस बार भाजपा को कड़ी टक्कर देने की रणनीति पर काम कर रही है।