
अब तो आलाकमान ही तय करेगा अध्यक्ष, गुजरात की तरह सभी राज्यों में यही स्थिति आरएन
- कई नेता है अध्यक्ष पद की दौड़ में, खेमेबंदी भी हावी
- अब पावर का केंद्र जयपुर नहीं दिल्ली में हलचल
अभिषेक आचार्य
RNE Special.
कांग्रेस इस साल को संगठन सृजन पर्व के रूप में मना रही है। इस वर्ष में कांग्रेस ने ब्लॉक से राष्ट्रीय स्तर पर संगठन को सक्रिय करने के लिए बड़े परिवर्तन करने है। मगर कमान एआईसीसी ने अपने पास रखी है। राहुल गांधी ने संसद में बोलते हुए भाजपा नेताओं को चुनोती थी कि इस बार हम गुजरात में आपको चुनाव हरायेंगे। तब से ही कांग्रेस हर राज्य में संगठन को लेकर सक्रिय है। गुजरात में एआईसीसी ने पर्यवेक्षक लगाये और जिला अध्यक्ष बनाये।
मध्यप्रदेश व हरियाणा में भी अब जिला अध्यक्ष बनाने के लिए यही फार्मूला अपनाया है। इसे कांग्रेस ने गुजरात मॉडल नाम दिया है। अब पूरे देश में जिला अध्यक्ष बनाने में यही तरीका अपनाया जा रहा है।
राजस्थान में भी यही मॉडल:
राज्य में भी नगर अध्यक्ष बनाने की सूची एक साथ जारी हुई। अब यहां भी कई जिला अध्यक्ष बनाये जाने है, ये काम काफी समय से पेंडिंग है। बड़े नेताओं को पकड़ पद पाने की जुगत सभी दावेदार कर रहे है। कांग्रेस की यह तो परंपरा है कि बड़े नेता अपने अपने समर्थकों को अध्यक्ष बनवा लेते है। पावर सेंटर जयपुर जयपुर रहता था जो अब दिल्ली हो गया है।
बीकानेर में शहर अध्यक्ष बनना है:
बीकानेर में शहर कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति होनी है। वर्तमान अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो गया। अध्यक्ष यशपाल गहलोत भी पार्टी को नए अध्यक्ष की नियुक्ति का कह चुके। वो नियुक्ति न होने के कारण अभी तक वही संगठन को चला रहे है। अब इस पद पर नियुक्ति होनी है।
कई दावेदार है इस पद के:
शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कईयों के नाम पुख्तगी से चर्चा में है। जो नाम प्रमुख रूप से चर्चा पाए हुए है उनमें अनिल कल्ला, मकसूद अहमद, अरुण व्यास, राहुल जादुसंगत, हीरालाल हर्ष आदि शामिल है। इनके अपने अपने कार्य है और सक्रियता भी।
दिल्ली का बड़ा दखल रहेगा:
अब अध्यक्ष बनने में दिल्ली का बड़ा दखल रहेगा। क्योंकि वहीं से अब एआईसीसी के ऑब्जर्वर की नियुक्ति के बाद ही अध्यक्ष ही बनना है।
अब कई नए मानदंड:
राहुल गांधी लोकसभा चुनाव के समय से जाति जनगणना की मांग उठा रहे थे। अब उसके होने का भी निर्णय हो गया। जातिगत समीकरण को अब संगठन में भी ध्यान रखा जायेगा। यह राष्ट्रीय स्तर से ब्लॉक तक ध्यान रखा जायेगा। बीकानेर पुष्करणा बाहुल्य क्षेत्र है, बड़ी जाति यही है। पिछली बार ओबीसी से अध्यक्ष थे। इस बार ब्राह्मण का दावा भी मजबूत है। वहीं मुस्लिम पूरी तरह से कांग्रेस के साथ रहा है।
उसका दावा भी मजबूत है, काफी समय से इस वर्ग का शहर अध्यक्ष बना भी नहीं। अब समीकरण क्या बैठता है, वो तो समय तय करेगा।
बड़े नेताओं की राय महत्ती:
बीकानेर की राजनीति में डॉ बी डी कल्ला, गोविंद मेघवाल, भंवर सिंह भाटी, डूडी गुट के नेताओं की भी विशेष भूमिका रहेगी। अब शहर में भी सचिन पायलट के समर्थकों की उपस्थिति है, उसका भी असर रहेगा।
जल्द होगा अध्यक्ष का निर्णय:
प्राप्त जानकारी के अनुसार अब शहर कांग्रेस अध्यक्ष की शीघ्र ही नियुक्ति होनी है। प्रक्रिया अंतिम दौर में है।