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प्रदीप बिहारी के मैथिली कहानी संग्रह ‘सरोकार’ के राजस्थानी अनुवाद के लिए मिला पुरस्कार

RNE, BIKANER.

साहित्य अकादेमी की ओर से दिए जाने वाले प्रतिष्ठित अनुवाद पुरस्कार के लिए इस बार राजस्थानी अनुवाद के लिए बीकानेर के प्रसिद्ध राजस्थानी कहानीकार-संपादक भंवरलाल ‘भ्रमर’ को चुना गया है।

अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव नै बताया कि साहित्य अकादेमी की ओर से वर्ष 2023 के लिए अनुवाद पुरस्कार प्रख्यात कहानीकार और अनुवाद पत्रिका ‘अंतरंग’ के संपादक प्रदीप बिहारी के मैथिली कहानी संग्रह ‘सरोकार’ के राजस्थानी अनुवाद के लिए भ्रमर को अर्पित किया जाएगा। यह अनूदित पुस्तक साहित्य अकादेमी द्वारा वर्ष 2019 में प्रकाशित की गई थी।

पुस्तक का चयन त्रिसदस्यीय निर्णायक मंडल ने निर्धारित चयन प्रक्रिया का पालन करते हुए किया है। नियमानुसार निर्णायकों की सर्वसम्मति के आधार पर पुरस्कार की घोषणा की गई है। निर्णायक मंडल के सदस्य जिन्होंने पुरस्कार की अनुशंसा की उनके नाम हैं – प्रो. कल्पना पुरोहित, डॉ. कीर्ति शर्मा और डॉ. मदन सैनी। पुरस्कार के रूप में एक उत्कीर्ण ताम्रफलक और पचास हजार रुपए की राशि पुरस्कृत अनुवादक को इसी वर्ष एक विशेष समारोह मे प्रदान की जाएगी। भ्रमर को साहित्य अकादेमी पुरस्कार की घोषणा होने पर रचनाधर्मियों, साहित्य प्रेमियों और शिक्षा जगत के लोगों ने खुशी जताई है। गौरतलब है कि भंवरलाल ‘भ्रमर’ अपने समय के बेहद चर्चित कहानीकार रहे हैं आपके कहानी संग्रह ‘तगादो’, ‘अमूझो कद तांई’ और ‘सातूं सुख’ राजस्थानी कहानी विकास यात्रा में महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। आपने राजस्थानी पत्रकारिता के क्षेत्र में मनवार, मरवण और अपणायत जैसी पत्रिकाओं के द्वारा कथा साहित्य को नई दिशा प्रदान की है। इससे पूर्व भंवर लाल भ्रमर को राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति बीकानेर द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है, वे शिक्षा विभाग से व्याख्याता पद से सेवानिवृत्त होकर वर्तमान में स्वतंत्र लेखक के रूप में सक्रिय हैं। उनका नया कहानी संग्रह ‘उपरलो पासो’ शीघ्र प्रकाश्य है।