अजीत कौर को साहित्य अकादेमी की महत्तर सदस्यता
 Dec 19, 2024, 10:21 IST
                                                    
                                                
                                            - पंजाबी की प्रतिष्ठित लेखिका और विदुषी हैं श्रीमती अजीत कौर
 अपने स्वीकृति वक्तव्य में अजीत कौर ने प्रसन्नता वयक्त करते हुए कहा कि उनके लिए बहुत खुशी का अवसर है और वे बेहद सम्मानित महसूस कर रही हैं। कुमुद शर्मा ने अर्पण समारोह के बाद धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि उन्हें सम्मानित कर स्वयं को सम्मानित महसूस कर रहे हैं, उनके लेखन की बेबाकी ने हम सबको प्रोत्साहित किया है। इसके साथ ही उनके साथ एक संवाद कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता पंजाबी परामर्श मंडल के संयोजक रवेल सिंह ने की और वनीता और कुलबीर बदेसरोन ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए।
अपने स्वीकृति वक्तव्य में अजीत कौर ने प्रसन्नता वयक्त करते हुए कहा कि उनके लिए बहुत खुशी का अवसर है और वे बेहद सम्मानित महसूस कर रही हैं। कुमुद शर्मा ने अर्पण समारोह के बाद धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि उन्हें सम्मानित कर स्वयं को सम्मानित महसूस कर रहे हैं, उनके लेखन की बेबाकी ने हम सबको प्रोत्साहित किया है। इसके साथ ही उनके साथ एक संवाद कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता पंजाबी परामर्श मंडल के संयोजक रवेल सिंह ने की और वनीता और कुलबीर बदेसरोन ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए।  आपकी आत्मकथा खानाबदोश आपकी जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं का आकर्षण संग्रह है। विभिन्न भारतीय विश्वविद्यालयों में उनके लेखन पर कई डॉक्टरेट अध्ययन किए गए हैं, उनकी रचनाओं का व्यापक रूप से अनुवाद किया गया है। 1987 से, आप सार्क राइटर्स एवं लिटरेचर फाउंडेशन की संस्थापक अध्यक्ष है जो सार्क देश में पहली सांस्कृतिक एवं साहित्यिक पहल है। आपको भारत सरकार द्वारा सन 2006 में पद्मश्री अलंकरण, 1986 में खानाबदोश के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार के अतिरिक्त अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों से अलंकृत किया गया है।
आपकी आत्मकथा खानाबदोश आपकी जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं का आकर्षण संग्रह है। विभिन्न भारतीय विश्वविद्यालयों में उनके लेखन पर कई डॉक्टरेट अध्ययन किए गए हैं, उनकी रचनाओं का व्यापक रूप से अनुवाद किया गया है। 1987 से, आप सार्क राइटर्स एवं लिटरेचर फाउंडेशन की संस्थापक अध्यक्ष है जो सार्क देश में पहली सांस्कृतिक एवं साहित्यिक पहल है। आपको भारत सरकार द्वारा सन 2006 में पद्मश्री अलंकरण, 1986 में खानाबदोश के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार के अतिरिक्त अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों से अलंकृत किया गया है।  
 

 
                                                