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1993 का सीरियल बम ब्लास्ट : कानपुर, हैदरबाद, सूरत, लखनऊ, मुंबई की ट्रेनों में हुए थे ब्लास्ट

आरएनई,बीकानेर। 

अजमेर की आतंकी और विघटनकारी गतिविधि अधिनियम (टाडा) अदालत ने 1993 के सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है। कोर्ट ने 30 साल बाद सुनाए गए फैसले में टुंडा को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। वहीं, दो अन्य आरोपियों इरफान और हमीदुद्दीन को दोषी करार देते हुए कोर्ट  ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।वहीं, 28 फरवरी, 2004 को टाडा कोर्ट ने ही मामले में 16 अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 4 आरोपियों को बरी कर दिया था, जबकि अन्य आरोपियों की सजा बरकरार रखी थी। ये आरोपी फिलहाल जयपुर जेल में बंद हैं।केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) टुंडा को बरी किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। उल्लेखनीय है कि अब्दुल करीम टुंडा, इरफान और हमीदुद्दीन 6 दिसंबर, 1993 को कानपुर, हैदराबाद, सूरत, लखनऊ और मुंबई की ट्रेनों में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में आरोपी हैं।टुंडा को बम धमाकों की ट्रेनिंग पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने दी थी। ट्रेनिंग के बाद वह आतंकी संगठन लश्कर के संपर्क में आया। टुंडा पर 1996 में दिल्ली पुलिस मुख्यालय के सामने बम धमाका करने का भी आरोप है।