Skip to main content

नए आपूर्तिकर्ता के रूप में अमेरिका, रूस, फ्रांस और इस्राइल

आरएनई,नेशनल ब्यूरो। 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस के साथ रक्षा और व्यापार सहयोग पर जोर दिया। साथ ही कहा कि कई पश्चिमी देश पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करते थे, भारत को नहीं। हालांकि, पिछले एक दशक में यह प्रवृत्ति बदल गई है।

पाकिस्तान को आपूर्ति करना…

जयशंकर ने कहा, ‘भंडार के मामले में हां यह सच है कि कई पश्चिमी देशों ने लंबे समय से पाकिस्तान को आपूर्ति करना पसंद किया है और भारत को नहीं। हालांकि, पिछले 10-15 सालों में अमेरिका के साथ संबंधों में बदलाव आया है। नए आपूर्तिकर्ता के रूप में अमेरिका, रूस, फ्रांस और इस्राइल के साथ विविधता आई है।’

जयशंकर फिलहाल जर्मनी में मौजूद

विदेश मंत्री जयशंकर फिलहाल जर्मनी के म्यूनिख (munich) में हैं। यहां वह म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंचे हुए हैं। इस दौरान उन्होंने इंटरव्यू में दुनिया में आपूर्ति श्रृंखलाओं के ढांचागत असंतुलन पर प्रकाश डाला और कहा कि दुनिया का आर्थिक मॉडल अस्थिर और अनुचित है।

उन्होंने कहा, ‘दुनिया ने एक आर्थिक मॉडल बनाया है जो अस्थिर और अनुचित है। वैश्वीकरण के नाम पर हमने दुनिया में अति-एकाग्रता देखी है। कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं को खोखला कर दिया गया है।’

बहुत से देश बुनियादी चीजों के लिए भी दूसरों पर निर्भर

मंत्री जयशंकर ने आगे कहा कि बहुत से देश बुनियादी चीजों के लिए भी दूसरों पर निर्भर हैं। हालांकि हम समस्या पर तुरंत ध्यान देते हैं। जैसे जब कोविड-19 आया था। वहीं, अब जलवायु परिवर्तन और लाल सागर में बढ़ रहे हमले समस्याएं हैं। परेशानी कितनी ज्यादा है यह कहना इतना आसान नहीं है, लेकिन इन पर काम किया जाए तो सब ठीक हो जाएगा।

उन्होंने आगे कहा, ‘वैश्विक व्यवस्था इस समय कई परेशानियों का सामना कर रही है। कोविड, यूक्रेन में युद्ध, गाजा में युद्ध, अफगानिस्तान से नाटो की वापसी और बदलती जलवायु जैसी घटनाएं दुनियाभर में हो रही हैं। यह सब हमारे लिए चुनौती है। हालांकि, यह केवल अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत करने के बारे में नहीं है, बल्कि इस व्यवस्था को बदलने के बारे में भी है। इसे कौन आकार देता है और किस आधार पर? अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को और विकसित होना चाहिए।’भारत और रूस ने एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी बनाए रखी

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि भारत और रूस ने दशकों से एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी बनाए रखी है, जो ऐतिहासिक संबंधों और साझा हितों पर आधारित है। रूसी समाचार एजेंसी के अनुसार, इस संबंध के केंद्र में व्यापक रक्षा सहयोग है, जिसमें रूस भारत को सैन्य उपकरणों के एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में सेवा दे रहा है।

हाल ही में, ऊर्जा सहयोग द्विपक्षीय संबंधों का एक और मजबूत स्तंभ बन गया है। भारत का सबसे बड़ा कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KNPP), मॉस्को द्वारा प्रदान की गई तकनीकी सहायता से तमिलनाडु में बनाया जा रहा है।

आरटी के अनुसार, परमाणु प्रौद्योगिकी में रूस की विशेषज्ञता भारत की क्षमताओं को आगे बढ़ाने में सहायक रही है, जो पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी को बढ़ावा देती है। दोनों देशों ने ऊर्जा सुरक्षा और तकनीकी प्रगति के लिए अपने परमाणु सहयोग को गहरा करने का वादा किया है।