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सड़ा मावा: प्रीति कोल्ड स्टोर, सना कोल्ड स्टोर में 600 किलो सड़ा हुआ मावा मिला

 

RNE BIKANER 

बीकानेर में अब मिठाई खाना-खिलाना खतरे से खाली नहीं है। वजह, हर दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जब सड़ा हुआ मावा, खराब मिठाई, अनहाइजैनिक मेकिंग प्रोसेस, बार-बार उपयोग में लिये गये तेल में तली नमकीन पकड़ी जा रही है। आज धनतेरस के दिन भी एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ऐसा मावा पकड़ा है जिसे देखते ही उबकाई आ जाती है। यह मावा कोल्ड स्टोर में रखा गया था। आशंका है कि अगर यह पकड़ा नही जाता तो ऊपर की सतह हटाकर इसे किसी न किसी मिठाई में काम ले लिया जाता। 

स्वास्थ्य विभाग की टीम में शामिल इंसपेक्टर श्रवण वर्मा ने बताया कि जस्सूसरगेट के बाहर स्थित प्रीति कोल्ड स्टोर और सना कोल्ड स्टोर पर चैकिंग की गई। यहां 600 किलो ऐसा मावा मिला है जो देखने में ही प्रदूषित लग रहा है। इसके सैंपल लिये हैं और नष्ट करवा रहे हैं। इस मामले में अभी कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है।
ब्रांड बड़े हो सकते हैं, मावा खुद नहीं बनते:   
बार-बार पकड़े जा रहे ऐसे मावे और खाद्य पदार्थों ने यह आशंका बढ़ा दी है कि खाने-खिलाने के शौकीनों के शहर में अब मिठाई-नमकीन खाना स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो सकता है। हालांकि कई बड़े ब्रांड को स्वच्छता और स्वाद के लिहाज से बेहतर माना जा सकता है लेकिन एक सवाल यह खड़ा होता है कि कोई भी ब्रांड सामान्यतया मिठाई बनाने के लिए मावा खुद नहीं बनाता। वह इसी बाजार से खरीदा जाता है। ऐसे मंे उचित जांच हुए बगैर मावे का उपयोग किया जाए तो बड़े ब्रांड की मिठाइयां भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। 
महीनों पहले करते हैं स्टोरेज:   
यहां चिंता की एक बात यह भी है कि दीपावली जैसे त्योहार पर मिठाई की सर्वाधिक डिमांड होने के कारण कई लोग महीनों पहले से स्टॉक करना शुरू कर देते हैं। कुछ ऐसी मिठाइयां भी पहले बना ली जाती है जिनके बारे में मान्यता है कि ये अधिक समय तक खराब नहीं होती। ऐसे में इनमें प्रिजर्वेटिव भी मिलाए जाते हैं। कृत्रिम रंग मिलाने अत्यधिक मात्रा में मिलाने के मामले भी सामने आए हैं। जाहिर है कि ऐसी मिलावटी मिठाई घर में ले आते हैं। खुद खाते हैं और बच्चों को खिलाते हैं तो यह नुकसानदेह साबित हो सकती है।
तब क्या करें:     
ऐसे में त्योहार पर मिठाई नहीं लाएं तो क्या करें! यह सवाल उठना स्वाभाविक है। इसका आसान उपाय है कि घरों पर बनने वाली शुद्ध देशी ऐसी मिठाइयां बनाएं जिनमें बाजार के प्रोसेस किये हुए सामान की कम से कम जरूरत हो। ये ताजी और शुद्ध होने से नुकसानदेह नहीं होती। इनमें खीर, चूरमा, लापसी, सकरपारा, पेठा आदि शामिल है।