ईद मिलादुन्नबी: मोहब्बत और भाईचारे का अनूठा पैग़ाम, गैर-मुस्लिम भाइयों को फूल भेंट कर पेश की मिसाल
RNE Bikaner.
ईद मिलादुन्नबी के मुबारक मौके पर बीकानेर की फ़िज़ाओं में अमन, मोहब्बत और इंसानियत की महक घुल गई। मौलाना मोहम्मद सलीम रजवी की सरपरस्ती में हैदरी मस्जिद से निकला जुलूस इस बार एक अनोखा पैग़ाम लेकर आया — “नफ़रत नहीं, मोहब्बत बाँटिए।”
इस जुलूस की सबसे बड़ी ख़ासियत यह रही कि राह में मिलने वाले गैर-मुस्लिम भाइयों को फूलों का तोहफ़ा पेश किया गया। यह नज़ारा देखकर लोगों की आँखें चमक उठीं और दिल मोहब्बत से भर गए। हर हाथ में फूल, हर लब पर मुस्कान और हर ज़ुबान पर एक ही सदा — “इंसानियत सबसे बड़ी इबादत है।”
मौलाना मोहम्मद सलीम रजवी साहब ने कहा, “ईद मिलादुन्नबी सिर्फ़ जश्न का दिन नहीं, बल्कि हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सीरत और तालीमात पर अमल करने का दिन है। उन्होंने हमेशा अमन, रहमत और इंसाफ का पैग़ाम दिया। आज हमें उसी राह पर चलने की ज़रूरत है।”
स्थानीय नेताओं और समाजसेवियों की प्रतिक्रिया:
सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल शर्मा ने कहा, “आज जो दृश्य बीकानेर की सड़कों पर दिखा, वह पूरे मुल्क के लिए मिसाल है। मोहब्बत और भाईचारा ही देश को मजबूत बनाता है।”
कांग्रेस नेता राजेश पारीक ने इसे “साम्प्रदायिक सौहार्द का जिंदा सबूत” बताया, वहीं बीजेपी नेता महावीर प्रसाद ने कहा, “धर्म चाहे कोई भी हो, अगर वह इंसानियत का संदेश देता है, तो वही असली धर्म है। आज का जुलूस इसका बेहतरीन उदाहरण है।”
जनता की राय:
रास्ते में फूल पाने वाले एक दुकानदार ने भावुक होकर कहा, “जिंदगी में पहली बार किसी ने इस तरह मुझे फूल देकर सम्मानित किया। यह दृश्य कभी नहीं भूलूंगा।”
वहीं कॉलेज की छात्रा प्रिया गुप्ता ने कहा, “आज समझ में आया कि इंसानियत ही सबसे बड़ा मज़हब है।”
जुलूस में हज़ारों की तादाद में लोगों ने शिरकत की, जिसमें हर तबक़े और मज़हब के लोग शामिल रहे। नात और दरूद की सदा से शहर गूंज उठा। इस मोहब्बत और भाईचारे के पैग़ाम ने बीकानेर को वाकई एक नई मिसाल दी।