Bikaner Chakgarbi Land : सैकड़ों परिवारों के हक में एकजुट हुए कांग्रेस-भाजपा के नेताओं ने प्रशासन को झुकाया
RNE Bikaner.
बीकानेर में लंबे अरसे बाद एक ऐसा आंदोलन देखा गया जिसमें दलीय सीमाएं तोड़ नेता शामिल हुए वहीं सैकड़ों पीड़ित परिवार सबकुछ छोड़ सड़क पर उतर आए। प्रशासन में हड़कंप मच गया और आखिरकार जिस मुद्दे के लिए लंबे समय से आवाज उठ रही थी उसके समाधान के लिए प्रशासन तैयार हो गया।
मामला यह है :
मामला है बीकानेर शहर के चकगरबी इलाके में बसे सैकड़ों परिवारों के रिहायशी अधिकारों का। यहाँ बीकानेर विकास प्राधिकरण (BDA) की ओर से कब्जे हटाने के नाम पर मकानों को तोड़ा जा रहा था। सालों से बसे सैकड़ों परिवार यहां मालिकाना हक यानी पट्टे की मांग कर रहे थे। पिछले कुछ दिनों से आंदोलन भी चल रहा था और इसके लिए बाकायदा एक संघर्ष समिति बनाई गई। इस संघर्ष समिति में राजाराम धानका, संदीप चौधरी, राधे श्याम घायल, फ़रमान कोहरी, नारायण सिंह शेखावत, विजय सिंह राठौड़, कर्णपाल सिंह, ठेकेदार रफीक भाई गिगासर आदि शामिल रहे।
कांग्रेस-भाजपा के नेता साथ जुटे :
हक के लिए लड़ते लोगों को न्याय नहीं मिलता देख कांग्रेस, भाजपा सहित कई दलों के नेता इस आंदोलन में कूद पड़े। इनमें कांग्रेस नेता मदन गोपाल मेघवाल, यशपाल गहलोत, रामनिवास कूकना, भंवर कुंकना, बिशनाराम सिहाग, सुभाष स्वामी, प्रफुल हटीला, भाजपा नेता सुरेन्द्र सिंह शेखावत, अशोक भाटी, कुन्दन सिंह राठौड़, पुनीत ढाल, कन्हैया लाल कड़ेला आदि शामिल रहे।
कलेक्ट्रेट पर महापड़ाव :
संघर्ष समिति और इन नेताओं की अगुवाई में सैकड़ों परिवारों में महिलाओं, बच्चों सहित कलेक्ट्री पर पड़ाव डाल दिया। हाथों में तख्तियां लिए, नारे लगते इन प्रदर्शनकारियों की गूंज प्रशासन से होती हुई सरकार तक पहुंची। आनन-फानन में वार्ता के लिए बुलाया गया। आश्वासनात्मक वार्ता में मांगों पर विचार के साथ ही फिलहाल आशियाने नहीं तोड़ने और पट्टे देने के विकल्प पर विचार की बात हुई। वार्ता से सहमत नेताओं ने प्रशासन के कहने पर आंदोलन स्थगित करने के साथ चेतावनी दी, समय रहते मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो अनिश्चितकालीन पड़ाव होगा। प्रशासन की ओर से कलेक्टर नम्रता वृष्णि, एडीएम, रमेश देव और तहसीलदार बीकानेर राजकुमारी विश्नोई आदि मौजूद रहे। वार्ता करके लौटे नेताओं ने प्रदर्शनकारियों को बताया, जिला प्रशासन का आशियाने नहीं तोड़ने का आश्वासन मिला है। इसके साथ ही चकगरबी नियमन की विधिवत् प्रक्रिया हेतु सहमति मिली है। चकगरबी का भू मानचित्र शीघ्र लागू होगा।
ये है चकगरबी निवासियों के मांग-पत्र :
1. बीकानेर विकास प्राधिकरण द्वारा चक गरबी इलाके में अवैध कब्जे हटाने के नाम पर रिहायशी इलाकों में की जा रही तोड़फोड़ पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाए।
2. प्राधिकरण इस पूरे इलाके का सर्वेक्षण करवाकर खातेदारी कृषि भूमि पर विकसित कॉलोनी का विधि सम्मत नियमन करे। इन्हें स्वप्रेरित (suo moto) धारा 90ए के अंतर्गत मान्यता देकर, यहाँ निवास करने वाले लोगों से नियमानुसार राशि लेकर पट्टे जारी किए जाएँ।
3. कुछ कॉलोनाइजरों ने सरकारी भूमि को अपनी कृषि भूमि बताकर लोगों को प्लाट बेच दिए हैं और अब वहाँ आबादी बस गई है। ऐसे क्षेत्रों को कच्ची बस्ती घोषित कर, गरीबों को पट्टे प्रदान किए जाएँ।
4. चक गरबी इलाके का कोई भी अधिकृत राजस्व नक्शा उपलब्ध नहीं है। इसलिए, सेटेलमेंट विभाग द्वारा समय-समय पर किए गए सेटलमेंट के आधार पर अधिकृत राजस्व नक्शा जारी किया जाए, ताकि राजस्व नक्शे और रिकॉर्ड से जुड़े विवादों का समाधान हो सके।
5. इलाके के निवासियों को मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ। इस क्षेत्र में पेयजल की गंभीर समस्या है, जिस पर बीकानेर विकास प्राधिकरण सहानुभूतिपूर्वक विचार करे।
6. सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस चौकी स्थापित की जाए। चिकित्सा सुविधा हेतु वर्तमान जनता क्लिनिक को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में क्रमोन्नत किया जाए। राजकीय प्राथमिक विद्यालय को उच्च माध्यमिक विद्यालय में क्रमोन्नत किया जाए।
7. शमशान भूमि के लिए भूमि आरक्षित कर, स्थानीय निवासियों को राहत प्रदान की जाए।