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Bikaner : भीनासर में श्रावक सम्मेलन संपन्न, साध्वी श्री जिन बाला जी के सानिध्य में हुआ आयोजन

 

RNE, BIKANER.

पांव पांव चलने वाले सूरज तेरापंथ धर्म संघ के एकादशमाधिशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री जिन बाला जी के सानिध्य में चतुर्मास् प्रारम्भ होने से पूर्व ही विशेष कार्यक्रम श्रावक सम्मेलन भीनासर के तेरापंथ सभा भवन में तेरापंथ सभा द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता उपासक प्रवक्ता युवा रत्न श्रीमान राजेंद्र जी सेठिया विशेष रूप से आमंत्रित थे। सर्वप्रथम कन्या मण्डल के मंगल गीत से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

 

तत्पश्चात प्रेरणा सेठिया व खुशबू सेठिया ने पपेट शो के माध्यम से आए हुए अतिथियों का स्वागत किया। साध्वी श्री जिन बाला जी ने समस्त श्रावक श्रविकाओं को प्रति बोधित करते हुए अपने प्रेरक उद्बोधन मे कहा कि हमें दीमक की तरह नहीं बनना है जो फर्नीचर में लग जाए तो उसे पूरी तरह से खोखला बना देता है, बल्कि मन्दिर के दीपक की तरह बनना है जो सबकी आँखों की पूजा पा सके। इसके साथ ही हम धर्म को खोखला नहीं अपितु धर्म को प्रकाशित करने वाले श्रावक बनें यह अपेक्षित है। साध्वी श्री करुणा प्रभा जी ने अपनी ओजस्वी वाणी में चारों प्रकार के श्रावकों का वर्णन करते हुए धर्म संघ के अतिजात संतान बनने की प्रेरणा दी। साध्वी श्री भव्य प्रभा जी ने कहा कि आज का यह दिवस दायित्व बोध का दिन है तथा संघ की सुरक्षा करना श्रावक का पहला दायित्व है।

साध्वी श्री करुणा प्रभा जी, साध्वी श्री भव्य प्रभा जी तथा साध्वी श्री प्राची प्रभा जी ने जागृति का संदेश सामूहिक स्वर की प्रस्तुति देकर सब में एक नया जोश भर दिया। युवक रत्न श्रीमान राजेंद्र जी सेठिया ने अपने मंझे हुए विचारों में कहा सच्चा श्रावक वह होता है जो संयम की साधना, गुरु दृष्टि की आराधना व संघ की प्रभावना करने वाला हो। कार्यक्रम में सेंकड़ों श्रावक श्रविकाओं की उपस्थिति सराहनीय व उल्लेखनीय रही। जिसमें कई सपरिवार उपस्थित थे। कार्यक्रम का कुशल संचालन तेरापंथ सभा के मंत्री श्रीमान चैन रूप जी गोलछा ने किया।