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फफक पड़े बिशनाराम, बोले-वो कुछ-कुछ नहीं होता, जब होता तो सबकुछ होता!

 

RNE BIKANER .

‘मुझे नहीं पता कि मैं उन्हें और उनके बारे में क्या कहूं। एक ऐसा खालीपन हो गया है जो शायद कभी नहीं भरेगा। मैं ही नहीं मेरे जैसे बीसियों युवाओं के लिए राजनीति की पहली सीढ़ी से लेकर आखिरी पायदान तक हाथ थामने वाला चला गया। हर आदमी का किसी ने कुछ-कुछ रिश्ता होता है। रामेश्वरजी डूडी ऐसे शख्स थे जो किसी के साथ होते तो उसका सबकुछ वे ही होते। हालांकि स्थितियां लगातार बुरी होती दिख रही थी इसके बावजूद लगता था कि कोई चमत्कार होगा और हमारा नेता फिर उसी तरह अचेतन के अंधेरे से निकलकर आयेगा और शेर की तरह दहाड़ेगा।’

यह कहते-कहते है देहात कांग्रेस अध्यक्ष बिशनाराम सियाग के आंसू निकल पड़े। वे बोल नहीं पाए। शून्य में ताकते बिशनाराम को देखकर ऐसा लगा कि उनके दिलोदिमाग के डूडी की यादों की पूरी तस्वीरें घूम रही है।
यह अकेले बिशनाराम सियाग की स्थिति नहीं थी वरन हर उस शख्स की यादों का खजाना था जो रामेश्वर डूडी से एकबार भी मिल लिया।
प्रहलादसिंह मार्शल कहते हैं, लगता है एक शून्यता आ गई है। कब, कैसे टूटेगी पता नहीं लेकिन राजनीति की ओर बढ़ते युवा कदमों को मजबूती देने के लिए जो हाथ थामता था वैसा कोई हाथ अब शायद ही आगे बढ़ेगा। आनंद जोशी के पास किस्सों का अकूत भंडार है। हर कदम निभाए गए साथ को वो भूल नहीं पाते। रात-रातभर बातों के ‘भचीड़’ में साथ रहने वाले भाजपा नेता शशि शर्मा रुआंसे हैं। सुरेश डूडी को सर से भाई का स्नेहिल साया उठने जैसा अहसास हो रहा है।
यूं कहा जा सकता है कि हर आंख में आंसू है। हर जेहन में यादों की तस्वीरें हैं। हर कदम डूडी निवास से होते हुए उस रास्ते पर बढ़ रहा है जिस रास्ते पर डूडी की अंतिम यात्रा चल पड़ी है।
इस अंतिम यात्रा को कांधा देने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा बीकानेर पहुंचे। इन नेताओं ने डूडी के कहा, प्रदेश ने किसान, गरीब, मजदूर के हित में आवाज उठाने वालों एक नेता को खो दिया। यही बात पूर्व मंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला ने कही। डूडी के इस अंतिम सफर में शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत, मदनगोपाल मेघवाल, राजेंद्र मूण्ड, गणपतराम खीचड़ सहित हजारों कदम नोखा रोड शमशान घाट की ओर बढ़ गए।