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शहर में अनेक स्थानों पर नालियों पर निर्माण, छोटे नालों को भी नहीं छोड़ा, उन पर भी सीढियां बना ली

इस अतिक्रमण के समय निगम कार्मिक चुप क्यों रहे 
कहीं मिली भगत से तो नहीं हुए ये अतिक्रमण
क्या बुलडोजर चलेगा, सीवरेज सिस्टम सुधरेगा
 

रितेश जोशी

RNE Special.

नगर निगम बनने के बाद उसका बजट बढ़ा, सुविधाएं बढ़ी मगर लगता है निगमाधिकारियों की जिम्मेदारियां घट गई। वे पहले कुछ ज्यादा ही लापरवाह हो गए। नित नए तरीके के हो रहे अतिक्रमणों का पता तब चलता है जब उससे आम जन के सामने परेशानी खड़ी होती है और वो शोर मचाता है। आश्चर्य तो इस बात का है कि उस समय निगम अतिक्रमण तो हटाता है मगर उसके लिए जिम्मेदारी तय नहीं करता।
 

जिम्मेदारी तय न करना इस बात की आशंका को जन्म देता है कि कहीं ये अतिक्रमण निगम की सहमति या मिलीभगत से तो नहीं हुए। अगर ऐसा नहीं है तो फिर जब अतिक्रमण हुआ तो उस समय निगम के किस अधिकारी व कार्मिक ने उसे नजरअंदाज किया या अतिक्रमण होने दिया, उसके खिलाफ कार्यवाही तो करनी ही चाहिए। सरकारी महकमों में केवल नगर निगम ही तो ऐसा है जिसका कार्मिक व छोटा अधिकारी हर दिन हर इलाके में जाता है। फिर उसने नालियों व छोटे नालों पर होने वाले अतिक्रमण को क्यों नहीं देखा। ये जिम्मेवारी तय होकर विभागीय कार्यवाही होने लग जाये तो फिर अतिक्रमणों पर भी अंकुश लग जायेगा।
 

नालियों पर निर्माण हो गये:
 

अधिकतर गलियों में जो मकान बने या उनकी मरम्मत हुई तो बनाने वालों ने नालियों के ऊपर या तो चौकी बना ली या सीढियां बना ली, कुछ ने बाइक रखने के गैरेज तक बना लिए। ठीक इसी तरह बाजारों में दुकानदारों ने नालियों या छोटे नालों को ढ़ककर सीढियां या उन पर पट्टियां रख दुकान का सामान, प्रचार की सामग्री रख ली।
 

जब इस तरह से अतिक्रमण हो रहा था तो सफाईकर्मी, जमादार, निरीक्षक ने देखा क्यों नहीं ? देखा तो क्या सोचकर, या लाभ लेकर ऐसा होने दिया। जब निकासी रुकी और मशीन ने उस अतिक्रमण को तोड़ा गया तो उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही क्यों नहीं हुई।
 

साफ दिखता है, मिलीभगत हुई:
 

परिस्थियां इस बात को पुष्ट करती है कि नालियों व छोटे नालों पर अतिक्रमण मिलीभगत का ही परिणाम है। क्योंकि इनकी सफाई हर दिन सफाईकर्मी करता है। अवरोध आते ही वो जमादार को सूचित करता है। वो निरीक्षक को बताता है और अतिक्रमण रुकता है। अब मिलीभगत किस स्तर पर हुई है, यह पता करना निगम का काम है। मगर मिलीभगत तो दिखती है।
 

गंदगी पसरने की यही है वजह:
 

जब छोटी नालियों व नालों पर अतिक्रमण हो जाता है तो उनकी सफाई नहीं हो पाती और फिर गंदा पानी सड़क पर पसरता है। जो साफ नहीं होता और गंदगी बढ़ती जाती है। अधिकतर यह समस्या गलियों व छोटे बाजारो में दिखाई दे जायेगी।
 

क्या बुलडोजर चलेगा इन पर:
 

इन छोटे छोटे अतिक्रमणों से बड़ा नुकसान सीवरेज सिस्टम को हो रहा है। शहर की गलियों में गंदगी अटी रहती है और वह कई बीमारियों को जन्म देती है। शहर की सूरत बिगड़ती है, जिसका पर्यटन पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
 

रुद्रा न्यूज एक्सप्रेस के सवाल:
 

  1. क्या निगम इस तरह के अतिक्रमणों को चिन्हित कर हटायेगा ?
  2. क्या दोषी कार्मिकों के खिलाफ कार्यवाही करने का साहस दिखायेगा ?
  3. क्या बुलडोजर की कार्यवाही बिना पक्षपात करेगा निगम ?
  4. भविष्य में इस तरह से अतिक्रमण रोकने की कोई कारगर योजना बनाएगा ?
  5. क्या निगम राजनीतिक दबाव को सहन न कर कठोर होगा ?