{"vars":{"id": "127470:4976"}}

सतर्कता व सुरक्षा की दृष्टि, रेलवे ट्रैक के पास की गंदगी चिंता नहीं क्या??
 

शहर के बीच चल रहे रेलवे ट्रैक के समीप गंदगी का अंबार
बाहर से आने वाला कितनी बुरी छवि बनाता है शहर की
ये गंदगी सतर्कता की दृष्टि से भी उचित नहीं है
सुरक्षा को लेकर पूरा देश चौकस, बीकानेर रेलवे लापरवाह क्यों
आसपास के दुकानदार व लोग भी इस गंदगी से परेशान
 

रितेश जोशी

RNE Special.


बीकानेर को देश में धार्मिक नगरी के रूप में पहचाना जाता है। कई लोग तो इसे छोटी काशी की भी संज्ञा देते है। इसकी अपनी वजह है। यहां हर मोहल्ले गली में आपको कोई न कोई धार्मिक स्थल मिलेगा, भले ही मंदिर हो या मस्जिद।
 

हर दिन आपको मोहल्ले के किसी न किसी घर में भजन, कीर्तन करते लोग दिखेंगे। शहर के चारों तरफ भव्य मंदिर है, मस्जिद है। गुरुद्वारा है तो चर्च भी है। इस शहर में हर त्यौहार, भले ही किसी भी धर्म का हो, मिलकर मनाया जाता है। लोगों के दिमाग में इस शहर की छवि एक शांत शहर के रूप में है।
 

शहर के बीच रेलवे ट्रैक :
 

कोटगेट, सांखला कुल्फी, चोखुंटी आदि से रेलवे ट्रैक निकलता है। कई गाड़ियां आती - जाती है। लेकिन शहरी क्षेत्र के इस ट्रैक के पास गंदगी का अंबार देखा जा सकता है। ऐसा लगता है जैसे इन स्थानों को कचरा कलेक्शन सेंटर बनाया हुआ हो। इस तरह की ही गंदगी वहां हर समय पड़ी रहती है। जिसे देखकर हरेक का सिर शर्म से झुक जाता है।
 

रेल से आने वालों में बिगड़ती है छवि:
 

बीकानेर जैसी धर्म नगरी की यात्रा पर रेल से आने वाले लोगों के सामने रेलवे ट्रैक के पास पड़ी गंदगी शहर की पूरी छवि बिगाड़ देती है। जब वे ट्रैक के पास से गुजरते है तो उनको रेल की अपनी खिड़की बंद करनी पड़ती है। नाक पर रुमाल रखना पड़ता है। उसके दिमाग में बीकानेर की तस्वीर एक गंदे शहर की बन जाती है। 
 

एक बार जब यहां उद्योगपतियों का आयोजन हुआ तो यहां के सबसे बड़े उद्योगपति ने शहर की गंदगी का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके कारण सिर शर्म से झुक जाता है। उद्योग यहां लगाने की लोग सोचते भी नहीं।
 

सतर्कता और गंदगी:
 

पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश के भीतर सुरक्षा को लेकर विशेष चौकसी की जरूरत थी, हो भी रही है। फितरती, देशद्रोही कई जगहों पर रेलों व ट्रैक को डिस्टर्ब करने की कोशिश कर चुके है। चौकस निगाहों के कारण ही दुर्घटनाओं को टाला जा सका है।
 

उस नजर से देखा जाए तो सतर्कता गंदगी हटने पर ही आसानी से सम्भव है। नहीं तो गंदगी की आड़ में फितरत भी हो सकती है।
 

आसपास के लोग भी गंदगी से दुखी:
 

ये गंदगी से भरे ट्रैक बाजार व बस्तियों के बीच है। गंदगी ने व्यापारियों और वहां के दुकानदारों की हालत खराब कर रखी है। गंदगी के कारण इनका जीना भी मुहाल हो गया है। 
 

बीकानेर रेलवे लापरवाह क्यों:
 

पूरे देश में इन दिनों रेलवे चौकस है, फिर बीकानेर में यह लापरवाही क्यों। रेलवे के अधिकारियों को इस मामले में नगर निगम से बात कर ट्रैक के आसपास पूरी सफाई स्थायी रूप से रखवाने की व्यवस्था करनी चाहिए। रोज ट्रैक के आसपास सफाई हो, इसके पुख्ता प्रबंध करने चाहिए। यदि निगम फिर भी ध्यान न दे तो जिला कलेक्टर से मिल इस विषय की गम्भीरता को बताना चाहिए।
 

ये कहना है मारू का:
 

निवर्तमान पार्षद पारस मारू रेलवे ट्रैक के पास की गंदगी से बेहद खफा है। उनका कहना है कि मैने अनेक बार इस विषय मे  निगम प्रशासन को पत्र लिखे है। निगम को देश के बदले हालात में रेलवे ट्रैक के पास तो गंदगी रहने ही नहीं देनी चाहिए। जिला कलेक्टर व निगम आयुक्त को इस विषय में पत्र देंगे। यदि फिर भी ध्यान नहीं दिया गया तो व्यापारियों व आसपास के निवासियों के साथ मिलकर जन आंदोलन खड़ा किया जायेगा।


पारस मारू, निवर्तमान पार्षद, नगर निगम