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मानसून की दूसरी बारिश ने खोल दी पूरी पोल, मानसून पूर्व की तैयारी के कलेक्टर के आदेश लगता है नहीं माने

बीच सड़क पर दर्जन से अधिक स्थानों पर तालाब, ये कब बने ?
भूमिगत नालों से अंजान है शायद नगर निगम
निगम मौज में, जन प्रतिनिधि खामोश, जनता संकट में, कौन सुने पुकार
 

रितेश जोशी

RNE Special.

हमारी संस्कृति में कहावतें व लोकोक्तियां यूं ही नहीं बनी हुई है। एक गहरे सोच और अनुभव के आधार पर बनी हुई है। तभी को एक पंक्ति में बड़ा अर्थ वे दे देती है। वर्षों से गीतों में गाया जा रहा है -- सावण बीकानेर। सावन के महीनें में बीकानेर में बादल जमकर बरसते है। यह सभी जानते है।
 

मगर अफसोस ! नगर निगम के कर्णधार शायद इससे अपरिचित है या फिर वे जानबूझकर आंखें मूंदे रहते है। हर बार सावन में जहां खुशियों की बहार सावन लाता है, वहीं एक बड़े भू भाग के लिए यह निगम की नाकामी के कारण आफत भी लाता है। दुःख ये है कि हर साल मानसून की बारिश में तय हो जैसे कि यहां यहां तो पानी भरेगा ही। निगम प्रशासन को भी पता है, मगर वो वर्षों से इन स्थानों की परेशानी का हल नहीं खोज पाया है। शेम !!
 

दूसरी बारिश में निगम बेनकाब:
 

मानसून की पहली बारिश में तो नगर निगम की व्यवस्थाओ की पोल खुली और दूसरी बारिश में तो निगम व्यवस्थाओं को लेकर बेनकाब हो गया। एक भी भूमिगत नाला ऐसा नहीं था जो बिफर कर बाहर न आया हो। खुले नाले तो पहली बारिश से ही कपड़ों से बाहर हो गए थे। सूरसागर पर मार पड़नी थी, पड़ी भी। निगमाधिकारियों को जरा भी शर्म नहीं हुई अपनी नाकामी पर।
 

कलेक्टर साहिबा, नहीं माने इन्होंने आदेश:
 

जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि ने मानसून से एक महीनें पहले एक बैठक कर निगम सहित विकास प्राधिकरण, पीडब्ल्यूडी आदि को आदेश दिए थे कि नालों की मरम्मत हो, सफाई हो। बारिश में जनता को तकलीफ न हो। मगर, कलेक्टर साहिबा के आदेश नहीं माने, यह तो दो बारिश में ही साफ हो गया। निगम, सूरसागर, रेलवे स्टेशन, गिन्नानी आदि में पानी 48 घन्टे बाद भी थोड़ा पड़ा निगम की नाकामी की कहानी बयां कर रहा था।
 

इतने तालाब ! कब बनाये निगम ने:
 

दूसरी बरसात में नगर निगम के सामने, सूरसागर के समीप, गिन्नानी में, रेलवे स्टेशन के सामने, कलेक्ट्री के सामने, विश्नोई धर्मशाला के सामने, कोटगेट, गोगागेट, वेटेरनरी विवि के पिछवाड़े आदि में सड़कों पर अचानक से तालाब नजर आये। पता नहीं ये निगम ने कब बनाये। लोग इन तालाबों में भले ही खतरा हो पर नहा रहे थे। निगम को क्या, खतरा है तो जनता खुद बचाव करे।
 

निगम मौज में, नेता खामोश:
 

दूसरी बरसात ने लोगों के जीवन को पूरी तरह अस्त व्यस्त कर दिया। लोगों पर आफत का पहाड़ टूट पड़ा। नुकसान भी बहुत हुआ। मगर निगम अधिकारी मौज में रहे, जन प्रतिनिधि खामोश रहे। जनता संकट से लड़ती रही, वो भी अपने बूते पर। कुछ तो विचार करो नगर के कर्णधारों। यूं शहर, यहां के नागरिकों से बेरुखी सही और उचित नहीं।
 

कलेक्टर साहिबा ! आप से है उम्मीद:
 

नगर निगम, विकास प्राधिकरण, पीडब्ल्यूडी आदि तो पूरी तरह विफल हो गए। कलेक्टर साहिबा, आपके निर्देशों को भी नजरअंदाज किया है इन्होंने। अब तो आप ही दखल दो। अभी तो मानसून की और बरसातें होगी। जनता को इनके भरोसे तो मत छोड़ो। आप को ही दखल देना होगा।
 

रुद्रा न्यूज एक्सप्रेस के सवाल:
 

  1. नगर निगम ने कलेक्टर के आदेशों की अवहेलना की, क्या उन पर कार्यवाही होगी ?
  2. जिन ठेकेदारों ने नालों की सफाई व मरम्मत का कथित काम किया, उनकी जांच होगी ?
  3. क्या कभी इन समस्याओं के स्थायी समाधान की योजना बनेगी ?
  4. जनता से भी सवाल, कब तक वह जिम्मेदारों की लापरवाही की सजा भुगतती रहेगी ?
  5. जन प्रतिनिधियों से सवाल, आप कब जागेंगे, जनता ही तो आपका आधार है ?