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सम्मान: पश्चिम बंगाल और राजस्थानी समाज के बीच सेतु हैं निर्भय देवयांश 

 

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सरोकार संस्था की ओर से स्टेशन रोड स्थित होटल राजमहल में राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष प्रतिष्ठित कवि गोविन्द माथुर की अध्यक्षता और वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा के मुख्य आतिथ्य में पश्चिम बंगाल के चर्चित हिंदी साहित्यकार और संपादक निर्भय देवयांश का सम्मान - अभिनंदन किया गया।

कार्यक्रम अध्यक्ष गोविंद माथुर ने कहा कि अहिंदी भाषी पश्चिम बंगाल में रह कर निर्भय देवयांश लेखन और संपादन दोनों क्षेत्रों में हिन्दी साहित्य के संवर्द्धन के लिए वर्षों से समर्पितभाव से संलग्न हैं। हिन्दी साहित्य में उन्होंने भरोसेमंद पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य के पाठक कम होते जा रहे हैं, वहीं निर्भय देवयांश अहिंदी प्रदेश में हिंदी भाषा की अलख जगा रहे हैं। यह सम्मान हिंदी भाषा, साहित्य और संस्कृति के प्रति उनके समर्पण और निष्ठा का सम्मान है।
मुख्य अतिथि बुलाकी शर्मा ने कहा कि निर्भय देवयांश अहिंदी प्रदेश पश्चिम बंगाल और राजस्थानी समाज के बीच एक मजबूत सेतु हैं। कोलकाता में रहते हुए वे वर्षों से हिंदी और राजस्थानी समाज के बीच लगातार संवाद बनाए हुए हैं और उन्होंने पश्चिम बंगाल में हिंदी का वृहद पाठक समूह तैयार किया है।
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि नवनीत पांडे ने कहा कि उनकी रचनाएँ समकालीन विमर्शों से जुड़े प्रश्नों को गंभीरता और निर्भीकता से सामने लाती हैं तथा उनकी संपादकीय भूमिका नई पीढ़ी को प्रेरित करती है।
युवा कवि श्याम निर्मोही ने कहा कि उनकी भाषा साफ, सीधी और पाठक को जोड़ने वाली है। वे मात्र दलित विमर्श को महत्त्वपूर्ण नहीं मानते वरन चाहते हैं कि दलितों में चेतना बढ़े और वे अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए मुस्तैद रहें। कार्यक्रम संयोजक युवा लेखक डॉ.सुभाष प्रज्ञ ने कहा कि देवयांश सरोकारी लेखक हैं। उनकी साहित्यिक दृष्टि सामाजिक संवेदना को मजबूती देती है और ये युवाओं को प्रोत्साहित करते रहे हैं।
माल्यार्पण, शॉल, पुस्तकें अर्पित कर निर्भय देवयांश का सरोकार की ओर से सम्मान किया गया। उनके साथ ही कोलकाता से आए वरिष्ठ समालोचक डॉ. विमलेंदु और वरिष्ठ कवि रामगोपाल पारीक ' निर्मेष' का भी सम्मान किया गया |
इस अवसर पर सम्मानित लेखक निर्भय देवयांश ने कहा कि हिन्दी समृद्ध भाषा है और इसमें उल्लेखनीय सृजन हो रहा है किंतु जरूरत स्वतंत्र सोच के साथ लिखने और लेखक - पाठक के बीच स्वस्थ संवाद की है। उन्होंने कहा कि हम हिंदी भाषा -भाषी के नाम पर दो कदम चलें तो कम से कम एक कदम आप भी चलें, तभी एक-दूसरे को जानने और समझने का सिलसिला शुरू होगा। आभार प्रदर्शन साहित्यनुरागी श्रीप्रकाश जोशी ' मुन्ना ' ने किया।