Pushkarna Sawa 2025 : 10 फरवरी को होगा पुष्करणा सावा, पूरा शहर मंडप होगा, हर घर शादी की रौनक
RNE Bikaner.
राजस्थान के बीकानेर शहर में बीती लगभग पूरी रात सैकड़ों लोग एक परिसर में जमा हुए। लगभग रातभर शास्त्रार्थ चला। मुद्दा था, एक ऐसा दिन तय करना जिस दिन जो भी चाहे अपने घर में बेटे-बेटी की शादी कर सके। मतलब यह कि एक दिन में सैकड़ों शादियां हो जाएं। किसी को किसी वर-वधू के नाम, कुंडली से विशिष्ट मुहूर्त नहीं पूछना पड़े। कई तारीखें सामने आई। उस दिन के लग्न, मुहूर्त, चौघड़िया, ग्रह-दशा आदि पर चर्चा हुई।
आखिरकार एक ऐसी तारीख तय हो गई जिसने सबके लिए श्रेष्ठ मुहूर्त होगा। यह तारीख है 10 फरवरी 2026 मंगलवार। फाल्गुन कृष्ण पक्ष अष्टमी, कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082 का दिन।
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"चंद्रशेखर व उमा" के नाम पर सावा :
दरअसल यह कवायद बीकानेर में प्रसिद्ध पुष्करणा सावा की तिथि तय करने की चली थी। व्यास पार्क, जसोलाई के पास स्थित घेरूलाल व्यास के गौरीशंकर महादेव मंदिर में हुई शास्त्रोक्त चर्चा के बाद सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त के रूप में 10 फरवरी 2026 को पुष्करणा सावा के आयोजन के लिए सहमति बनी। इस बार सावा "चंद्रशेखर व उमा" के नाम पर निकला है। इससे पूर्व पुष्करणा ब्राह्मण के पंडितों ज्योतिष आचार्य गणितज्ञ और विद्वानों के बीच करीब 4 घंटे शास्त्रोक्त चर्चा हुई।
ये रहे चर्चा के केंद्र :
चर्चा भगवान गणेश के पूजन के बाद प्रारंभ हुई पूजन में कीकाणी लालाणी व्यास सावा समिति के संयोजक नारायण दास व्यास एवं अध्यक्ष माखनलाल व्यास ने पूजन करवाया। परंपरा अनुसार राज ज्योतिषी आचार्य राजेंद्र कुमार आचार्य की ओर से सावा की संभावित तिथियां रखी गई जिनको पंडित विष्णु कांत व्यास ने इन तिथियों पर समाज के चौथानी ओझा, किराडू, नानकानी ओझा जाति के पंडितों विद्वानों पंचांग कर्ताओं के सम्मुख रखी उन तिथियों पर शास्त्रोंक्त चर्चा की और सर्वश्रेष्ठ तिथि का चयन किया ।
ये विद्वान रहे मौजूद :
इस अवसर पर पंडित जुगल किशोर ओझा, पंडित अशोक ओझा, पंडित राजेंद्र किराडू, पंडित सुशील कुमार, पंडित अशोक, गोपाल ओझा, यज्ञेश ओझा, वाद्य ओझा, बसंत ओझा, सहित अनेक विद्वानों ने चर्चा की। इस अवसर पर कमेटी सचिव श्रीकांत व्यास सदस्य सुरेंद्र व्यास, कानू लाल व्यास, ओमप्रकाश व्यास, बृजेश्वर लाल व्यास, अनिल व्यास, गोपाल व्यास, सहित समाज के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
क्या है पुष्करणा सावा :
बीकानेर का पुष्करणा समाज परंपरागत रूप से एक ही दिन सावा तय कर अपने घरों में शादियाँ करता आया है। कुछ सालों पहले तक इस सावे के दिन ही शादियाँ होती थी। पहले चार साल में एक बात सावा तय होता था। इसलिए इसे ओलंपिक भी कहा जाता था। अब इस अवधि को घटाकर दो साल में एक बार कर दिया गया है। हालांकि अब सावे के बिना एकल मुहूर्त से भी शादियां होती हैं।