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Rajasthan की स्थायी लोक अदालत ने बिजली चोरी के मामले में कंपनी के खिलाफ अपील खारिज की !

 
RNE Kota-Bikaner.
स्थाई लोक अदालत को बिजली चोरी के मामले में केवल समझौते कराने ही अधिकार है। ऐसे प्रकरणों में गुणावगुण पर निर्णय करने का कोई अधिकार नहीं है। यह फैसला कोटा की स्थाई लोक अदालत ने एक बिजली चोरी के मामले में देते हुए प्रार्थी की अपील खारिज कर दी। इसके अलावा अदालत ने स्वीकार किया निजी बिजली कम्पनी को बिजली चोरी के मामलों में वीसीआर भरने का अधिकार है।
कोटा के एक नागरिक ने स्थाई लोक अदालत में अपील की कि निजी बिजली कम्पनी को वीसीआर भरने का कोई अधिकार नहीं है। प्रार्थी का कहना था कि उसके मकान पर तत्काल प्रभाव से मीटर लगाया जाए और निजी कम्पनी को पाबन्द किया जाए कि उसके परिवार को परेशान नहीं किया जाए। इस मामले में जयपुर डिस्कॉम का कहना था कि शहरी क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति सम्बंधित कार्य में उसका कोई हस्तक्षेप नहीं है। जयपुर डिस्कॉम के बीच हुए अनुबंध के तहत निजी कम्पनी को वीसीआर भरने का अधिकार मिला हुआ है। अदालत ने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी अपने एक निर्णय में कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों में विद्युत चोरी के प्रकरण में स्थाई लोक अदालत को मात्र समझौते कराने का अधिकार है, इसके अलावा अन्य कोई क्षेत्राधिकार नहीं है। अदालत ऐसे प्रकरणों में गुणावागुण पर निर्णय नहीं कर सकती। अदालत ने उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के दिए एक निर्णय का भी हवाला दिया। स्थाई लोक अदालत ने यह भी कहा कि निजी कम्पनी को वीसीआर भरने व थानाधिकारी विद्युत चोरी निरोधक पुलिस थाना को प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखने की शक्तियां और अधिकार है।