राजेन्द्र जोशी की कहानियां आज के समय के सामने सीना ताने खड़ी
कहानी संग्रह 'सयानी छोरी' का हुआ लोकार्पण
'सयानी छोरी' की कहानियां समकालीन विमर्श में साम्राज्यवाद के खिलाफ मजबूती से खड़े रहने का हौसला देती हैं। इन कहानियों की परिपक्वता बेजोड़ हैं। भाषा की सहजता और सरलता इन्हें सर्वग्राहय बनाती हैं। पोकरमल राजरानी गोयल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा सूर्य प्रकाशन मंदिर द्वारा प्रकाशित हिंदी और राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी के नए हिंदी कहानी- संग्रह 'सयानी छोरी' के विमोचन के दौरान वक्ताओं ने यह उद्गार व्यक्त किए।
राजमहल होटल में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. उमाकांत गुप्त ने कहा कि राजेन्द्र जोशी की कहानियां आज के समय के सामने सीना ताने खड़ी हैं। यह समय की विद्रूपताओं से लड़ती हैं। इनकी सरल बनावट और बुनावट इनकी सबसे बड़ी खूबी है। इनकी कहानियां सवालिया जिंदगी के जवाब खोजने की जद्दोजहद हैं।
मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि राजस्थान के कहानीकार यथार्थ के धरातल पर कहानियां रचते हैं। राजेन्द्र जोशी इनमें एक हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य में कहानी विधा से आज भी बड़ी उम्मीदें हैं। जोशी इस पर खरे उतरे हैं और समाज के कटु यथार्थ को बखूबी दर्शाया है।
डॉ. मदन सैनी ने कहा कि वही साहित्य अमर होता है, जो समाज के इर्द गिर्द होता है। सयानी छोरी की कहानियां हमारे आसपास बिखरी हुई हैं। यह हमारे रीति-रिवाज, परम्पराओं का प्रतिबिंब हैं। उन्होंने कहा कि उन कहानियों में नारी के संघर्ष की बातें और उनके अस्तित्व को बनाए रखने का चित्रण है।
कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहानियों की विषय वस्तु के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सभी कहानियों के विषय समाज से ही लिए गए हैं। सभी कहानियां यथार्थ के आसपास ही हैं। उन्होंने कहानी लेखन परम्परा, इसके समक्ष आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया। साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने राजेन्द्र जोशी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोशी की सृजन यात्रा के बारे में बताया।
पत्रवाचन कवयित्री-आलोचक डॉ. रेणुका व्यास 'नीलम' के किया। उन्होंने कहानियों के मर्म को बेहतर तरीके से रखा। ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. नरेश गोयल ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने बीकानेर की साहित्यिक परम्परा के बारे में विस्तार से बताया। युवा गीतकार डॉ. हरि शंकर आचार्य ने आभार जताया। उन्होंने कहा कि राजेन्द्र जोशी का साहित्य समाज का प्रतिबिंब है। कार्यक्रम का संचालन ज्योति प्रकाश रंगा ने किया।
इससे पहले अतिथियों ने पुस्तक का विमोचन किया। जोशी ने राजेश चूरा और डॉ. नरेश गोयल को समर्पित पुस्तक की पहली प्रतियां भेंट की। इस दौरान अनेक लोगों ने जोशी का सम्मान किया। कार्यक्रम में साहित्यकार- सामाजिक-आर्थिक एवं विभिन्न क्षेत्र के अनेक लोग मौजूद रहे।