{"vars":{"id": "127470:4976"}}

Bikaner : स्मृति समारोह में विद्वानों ने किया शंकरदान सामौर के योगदान का विमर्श

 

गजेसिंह राजपुरोहित

RNE Special.
 

क्रांतिकारी संकरदान सामौर किणी राजा रौ नीं बल्कि प्रजा रा कवि हा जिकौ आपरौ काव्य सिरजण कोई शास्त्र पढ़ 'र नीं बल्कि मानवीय संवेदना सूं करै। देस री आजादी रै आन्दोलन में महात्मा गांधी ' रामराज ' अर सुभाष चंद्र बोस जिण 'आजाद हिन्द' रौ संकल्प लियौ असल में उणरी संकल्पना शंकरदान सामौर आपरै जीवण में करै।

अठारह सौ सत्तावन री क्रांति में शंकरदान सामौर रौ सीधौ जुड़ाव है इण वास्तै सिरजण सूं ज्यादा वांरौ जीवण संघर्ष घणौ महताऊ है। अै विचार मानीता कवि-आलोचक प्रोफेसर (डाॅ.) अर्जुनदेव चारण साहित्य अकादेमी अर लोक भारती संस्थान कांनी सूं  होटल राजमहल में आयोजित दो दिवसीय ' शंकरदान सामौर : स्मृति समारोह ' में आपरै  अध्यक्षीय उदबोधन में व्यक्त करिया । वे कह्यौ के कवि शंकरदान सामौर लोक नै आजादी रौ असली अरथ बतावण वाळा अेक क्रांतिकारी  जुगकवि हा ।  

समारोह रा सिरै मिजमान प्रतिष्ठित इतिहासकार प्रोफेसर (डाॅ.) एस.पी. व्यास कह्यौ के कवि शंकरदान सामौर नै देस रा पैलौ स्वतंत्रता संग्राम रौ जनक कैय दियौ जावै तो कोई  अजोगती बात कोनीं। वे कह्यौ के सामौर रै काव्य पख माथै तो आलोचनात्मक दीठ सूं काम हुयौ पण वांरै जीवण रै अेतिहासिक संघर्ष माथै शोध री महत्ती दरकार है।  

खास मिजमान डाॅ.दीपिका विजयवर्गीय शंकरदान सामौर रै बहुआयामी व्यक्तित्व नै उजागर करता थका कह्यौ के वो राष्ट्रीय चेतना रा प्रखर कवि हां, जिको 1857 री क्रांति रै समै क्रांतिकारियां नै हदभांत सकारात्मक सहयोग करियौ हौ।

साहित्य अकादेमी रा सचिव डाॅ.के.श्रीनिवास राव आपरै स्वागत उदबोधन रै सागै ई वांरै सामाजिक पख नै उजागर करता थका कह्यौ के वे लोक में पसरियोड़ै अंग्रेजी सत्ता रै डर नै खतम कर आत्म सम्मान रौ भाव जाग्रत करियौ । उदघाटन समारोह रौ सत्र -  संयोजन डाॅ.गजेसिंह राजपुरोहित करियौ। सत्र मांय डाॅ. रेणुका व्यास नीलम री अनुवाद पोथी ' लल रा लाखीणा वाख ' (कश्मीर री आदू कवयित्री ललद्यद रै वाखां) रौ लोकारपण हुयौ।

दो तकनीकी सत्र सम्पन्न : प्रतिष्ठित रचनाकार श्री पृथ्वीराज रतनू अर व्यंग्यकार श्री बुलाकी शर्मा री अध्यक्षता में आयोजित दो न्यारा -न्यारा साहित्यिक सत्रां में सुश्री निकिता शेखावत अर श्री हेमेंद्रसिंह तेना कवि शंकरदान सामौर रै जीवण माथै आलोचनात्मक दीठ सूं आपरौ शोध-आलेख प्रस्तुत करियौ। इणी ’ज भांत दूजा सत्र में श्री नगेंद्र नारायण किराड़ू अर डाॅ.संजू श्रीमाली कवि शंकरदान सामौर रै सिरजण माथै आलोचनात्मक शोध-आलेख प्रस्तुत करियौ।  

अै रैया मौजूद : दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी रै पैला दिन प्रतिष्ठित विद्वान डाॅ.भंवरसिंह सामौर,श्री मधु आचार्य आशावादी, श्री राजेन्द्र जोशी, श्री धीरेंद्र कुमार आचार्य, श्री प्रथ्वीसिंह, डाॅ.के.एल. बिश्नोई, श्री कमल रंगा, श्री बुलाकी शर्मा, डाॅ.अजय जोशी, फारुक चौहान, श्री राजाराम स्वर्णकार, डाॅ.मंजूला बारहठ,श्री किशन दान बिठ्ठू, श्री मुकेश व्यास,श्रीनगेन्द्र नारायण किराड़ू,श्रीहरिश शर्मा,श्री संजय पुरोहित, डाॅ.गीता सामौर, डाॅ.गौरीशंकर प्रजापत,डाॅ. रेणुका व्यास नीलम, डाॅ. संजू श्रीमाली, श्री योगेन्द्र के. पुरोहित , श्री गोविंद गौरवसिंह,श्री प्रशान्त जैन सागै कैई प्रतिष्ठित रचनाकार, मायड़ भासा प्रेमी अर राजस्थानी शोध-छात्र मौजूद रैया।