{"vars":{"id": "127470:4976"}}

Smriti Irani ने सरकार में भूमिका नहीं मिलने के सवाल पर दिया ये जवाब!
 

 

RNE Bikaner.
 

जो स्मृति ईरानी राहुल गांधी को हराकर देशभर में चर्चित रही। जिसे देश की पहली कैबिनेट रैंक वाली महिला शिक्षामंत्री बनने का अवसर मिला। कई विभागों में मंत्री बनी उसे एक चुनाव हारने के बाद मोदी सरकार में बतौर मंत्री कोई भूमिका क्यों नहीं मिली! यह सवाल स्मृति ईरानी को लेकर जहां लोगों के दिलो-दिमाग में रहता है वहीं आए दिन खुद स्मृति से भी यह सवाल होता है। शुक्रवार को बीकानेर में भी उनसे यह सवाल हुआ जिसका हालांकि दर्द तो स्मृति के चेहरे पर दिखा लेकिन उन्होंने जवाब काफी नपा-तुला दिया।

बीकानेर क्यों पहुंची स्मृति, क्या हुआ सवाल?
 

दरअसल स्मृति ईरानी शुक्रवार को आपातकाल की ‘बरसी’ पर आयोजित ‘संविधान हत्या दिवस’ कार्यक्रम में शिरकत करने आई। यहां मीसा मंे बंद रहे व्यक्तियों के परिवारों को सम्मानित किया। इसके साथ ही पत्रकार वार्ता भी की। इसी दौरान एक पत्रकार अरविंद व्यास ने स्मृति ईरानी से सवाल किया ‘एल मुरुगन, रवनीत बिट्टू हारकर भी सरकार में मंत्री बन शामिल हुए। स्मृति ईरानी को यह अवसर क्यांे नहीं मिला!’
 

संभवतया स्मृति ऐसे सवाल के लिए तैयार नहीं थी। उन्होंने पार्टी से अपने 25 वर्षीय जुड़ाव का जिक्र करते हुए कहा, जैसे क्रिकेट में कैप्टन तय करता है कि कौनसा खिलाड़ी किस पॉजीशन पर खेलेगा उसी तरह यहां भी यह टीम लीडर का अधिकार क्षेत्र है। वे बोली, 25 साल से भाजपा में पदाधिकारी या सामान्य कार्यकर्ता के रूप में काम करती रही हूं। मैं अभी 50 साल की भी नहीं हूं। जीवन लंबा है तीन बार की सांसद हूं। पांच विभागों की मंत्री रह चुकी है। पहली शिक्षामंत्री कैबिनेट रही हूं। क्रिकेट के कैप्टन की तरह ही पार्टी का नेतृत्व निर्धारित करता है कि कौनसे खिलाड़ी की क्या भूमिका रहेगी?

आपातकाल पर यह बोली स्मृति ईरानी: 
 

50 साल पहले जिस प्रकार न्यायपालिका को आपातकाल में बंधक बनाया। संविधान को मौन किया। पत्रकारों के कलम की सियाही सुखा दी गई। एक लाख से ज्यादा लोगों को बंदी बनाया। एक करोड़ से ज्यादा हिन्दुस्तानियों की नसबंदी हुई। आपातकाल में जिस प्रकार लोकतंत्र पर प्रहार हुआ उसके संदर्भ में आज बीकानेर मंे 33 महानुभावों को स्मरण किया। यह मेरा सौभाग्य है कि मैं उन परिवारों को प्रणाम कर पाई। 
 

ये वो साधारण परिवार के नागरिक हैं जिन्होंने जब लोकतंत्र पर काला साया छाया तब अपने परिवार की सुरक्षा को ताक पर लगा अपने भविष्य को स्वाहा कर जेल को स्वीकार किया। संविधान हत्या दिवस हर हिन्दुस्तानी को याद दिलाता है कि लोतंत्र मात्र एक व्यवस्था नहीं बल्कि हमारी जिम्मेदारी है। ये काला साया कभी ना छाये भारत पर ये संकल्प हर हिन्दुस्तानी का है।
 

कांग्रेस पर हमला:
 

आपातकाल में सत्ता के लोभियों ने संवैधानिक अधिकारों का न केवल हनन किया वरन कांग्रेस की तबकी सरकार ने ये भी पेशकश की कि किसी भी नागरिक को राइट टू लाइफ व लिबर्टी का अधिकार न रहे। कांग्रेस की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मंे यह भी दस्तावेज पेश किये कि आपातकाल में वह नागरिकों को गोली मार सकती है।
 

कांग्रेस की सरकार ने गरीबी नहीं हटाई वरन गरीबों के घर उजाड़ दिये। अपने इस कड़वे इतिहास को छिपाने के लिए आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कांग्रेस कर रही है। वह स्वाभाविक है। लेकिन न इतिहास कहीं न कहीं माफ करेगा, न संविधान, न देश।
 

अपना काम गिनाया, मोदी सरकार की उपलब्धियां बताई:
 

स्मृति ईरानी ने एक सवाल के जवाब में महिलाओं के लिए अपना काम गिनाया। कहा महिला बाल विकास मंत्री थी तब यह तय किया कि निर्भया फंड का कैसे इस्तेमाल हो। देश में कोर्ट बने। प्रधानमंत्री के निर्देश पर 700 से ज्यादा वन स्टॉप सेंटर बने। महिलाओं के लिए हैल्प लाइन बनी जिसमें करोड़ों महिलाओं को सहयोग, न्याय मिला। प्रधानमंत्रीजी का ध्येय है कि महिलाओं को आर्थिक संबल भी मिले। चाहे वह जनधन योजना मंे बैंक खाता खोलना हो चाहे वह 30 करोड़ महिलाओं को लोन या महिला आरक्षण बिल पास होना। महिला आर्थिक राजनीतिक रूप से उत्थान के रास्ते पर चले।