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Terapanth News : साध्वियों के सानिध्य में दम्पतियों ने जीवन के दुख बताए, सुखी होने के रास्ते सीखे!

 

RNE Bikaner.

आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री जिनबाला जी के सानिध्य में तेरापंथ सभा भवन भीनासर के प्रांगण मे शनिवार सांय 8:00 बजे दम्पत्ति सम्मेलन का सफल आयोजन किया गया। जिसमें 108 दंपतियों ने अपनी सहभागिता दर्ज करवाई। 

कन्या मण्डल की कन्याओं के मंगलगान से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। छह युवा दंपतियों ने अपने जोशिले स्वर में दाम्पत्य जीवन पर शानदार सामूहिक गीत का संगान किया। 
साध्वी श्री जिन बाला जी ने सह जीवन को सुखी बनाने के लिए अपने प्रेरक उद्बोधन मे कहा - आवेग, आवेश,उत्तेजना ये सीमा से बाहर ना जाएं। जैसे नदी का पानी सीमा से बाहर होकर विनाश कर देता है, वैसे ही हमारे आवेग, आवेश के बाहर जाने पर घर को दुःखी व अशांत बना देते हैं। इसलिए स्वंय का स्वंय पर नियंत्रण होना जरूरी है। सह जीवन में अनेक बातें सहन करनी होती है। छोटी मोटी बातें होती रहती है, इसलिए लेट गो की शैली अपनाएं। साध्वी जी ने आगे कहा- नारी को धरती के समान माना जाता है क्योंकि उसमें सहनशीलता होती है। वर्तमान युग मे पति पत्नी दोनों सहन करने की शैली को छोड़ते जा रहे हैं। कोई झुकना नही चाहता। सह जीवन में झुकना जरूरी है तो गम खाना भी जरूरी है। एक दूसरे का सम्मान करना भी इस जीवन मे जरूरी है। एक दूसरे के लिए प्रमोद भावना और प्रशंसा का प्रयोग करें तो सह जीवन सुखी और शांत बन सकता है।
साध्वी श्री करुणा प्रभा जी ने संभागी दंपतियों को संबोधित करते हुए अपने ओजस्वी वक्तव्य में कहा - पति पत्नी को हमेशा मुस्कुराते रहना चाहिए। एक दूसरे की बात को शांति से सुनना चाहिए तथा आपस में सहयोग की भावना रखनी चाहिए। 
साध्वी श्री भव्य प्रभा जी पति पत्नी के संबंध को एक रथ के दो पहिये के समान बताया जो जीवन रूपी रथ को चलाते है। 
साध्वीवृंद ने सफल और सुखी दाम्पत्य जीवन पर सामूहिक गीत का संगान किया। इस कार्यक्रम में सुमति- शुचि पुगलिया बेस्ट कपल के रूप में चुने गए। तथा लक्की ड्रॉ में पारस- खुशबू चौरडिया, सुशील- संगीता डागा, सुशील - कंचन पारख ने प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त किया। 
18 तारीख प्रातः कालीन कार्यक्रम में 12 वर्षीय दिव्यांश सेठिया के अठाई तप का भीनासर वासियों ने अनुमोदन किया। इस नन्हे बालक की अठाई से पुरा सेठिया परिवार अतिरिक्त प्रसन्नता की अनुभूति कर रहा था। पारिवारिक जनों ने तथा साध्वी वृंद ने सामूहिक गीत के साथ दिव्यांश को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। 
इसके साथ ही श्रीमती रचना रांका ने 24 दिन के तप का तथा 13 व 15 वर्षीय नेहा व यशा पुगलिया दोनों बहनों ने साध्वी श्री जी से अठाई तप का प्रत्याख्यान किया। सभी ने ओम अर्हम की ध्वनि से तपस्वियों का स्वागत किया।