भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी का गठन भी लंबित पड़ा है, 6 मंत्रियों के रिक्त पद भरने में नहीं मिल रही हरी झंडी
राजनीतिक नियुक्तियों को भी नहीं मिली है स्वीकृति
सभी गुटों को साधने की हो रही कोशिश
मधु आचार्य ' आशावादी '
RNE Special.
राजस्थान भाजपा में गाड़ी सभी निर्णयों में धीमी गति से चल रही है। चाहे मंत्रिमंडल विस्तार हो या मंत्रिमंडल गठन, चाहे राजनीतिक नियुक्तियां हो या प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी का गठन, सब कामों में देरी हो गयी है।
भाजपा में भी अब निर्णय केंद्रीय नेतृत्त्व की सहमति के बिना संभव नहीं है। इसी सहमति में हो रही देरी का असर राजस्थान में साफ पड़ रहा है। जिससे कार्यकर्ताओं व नेताओं में एक तरह की निराशा भी अब साफ झलकने लगी है। जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक के नेताओं की उम्मीद अब मद्धम पड़ने लगी है।
मंत्रिमंडल विस्तार अटका हुआ है:
राजस्थान में 6 मंत्रियों के पद आरम्भ से ही रिक्त पड़े है। इनको भरने की चर्चा कई बार उठी है, हलचल भी हुई मगर हर बार बात सिरे नहीं चढ़ पाई। केंद्रीय नेतृत्त्व से सीएम व प्रदेश प्रभारी की कई बार चर्चा हो गयी, मगर विस्तार नहीं हो पाया।
पहले तय हुआ कि विधानसभा के मानसून सत्र से पहले मंत्रिमंडल विस्तार होगा। लॉबिंग शुरू हो गयी। सीएम ने भी केंद्रीय नेतृत्त्व के अलावा राजस्थान के दिग्गज नेताओं जैसे वसुंधरा राजे आदि से भी मुलाकात कर ली। मगर विस्तार फिर टल गया। मानसून सत्र के बाद विस्तार होने की बात चली, मगर अब तक तो नहीं हुआ।
पुनर्गठन भी केवल चर्चा तक:
राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ इसके पुनर्गठन की सुगबुगाहट भी हुई। संगठन व सीएम ने मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा कर रिपोर्ट कार्ड भी बनाया। ये तय हुआ कि उसके आधार पर कुछ मंत्री हटेंगे।
मगर बाद में तय हुआ कि छत्तीसगढ़ की तर्ज पर मंत्री हटेंगे तो नहीं, किंतु उनके मंत्रालयों में काम की समीक्षा के आधार पर बदलाव होंगे। वो काम भी अभी तक अटका हुआ है।
राजनीतिक नियुक्तियों की आस:
राज्य में जिलों से लेकर प्रदेश स्तर तक की राजनीतिक नियुक्तियां होनी है। बारबार चर्चा चलती है और नेताओं की जयपुर व दिल्ली की दौड़ शुरू हो जाती है। फिर अचानक से नियुक्तियां टल जाती है।
पिछले दिनों में केवल एक राजनीतिक नियुक्ति अरुण चतुर्वेदी की हुई है। उन्हें वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाकर केबिनेट का दर्जा दिया गया है। बाकी नियुक्तियों पर आलाकमान की हरी झंडी नहीं मिल सकी है। अनेक बड़े नेता भी राजनीतिक नियुक्ति की उम्मीद में है।
प्रदेश भाजपा टीम भी अटकी:
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पर मदन राठौड़ का चुनाव हुए लगभग 6 महीने हो गए मगर अभी तक भी प्रदेश की नई टीम नहीं बन सकी है। इस विषय मे भी केंद्रीय नेतृत्त्व से कई बार की बातचीत के बाद टीम को अंतिम रूप नहीं मिल सका है।
टीम में व्यापक फेरबदल का संकेत अध्यक्ष मदन राठौड़ पहले भी दे चुके है। कुछ विधायकों व मंत्रियों को भी संगठन में जिम्मेदारी की बात अध्यक्ष कह चुके है। मगर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव न होने के कारण प्रदेश की टीम का भी गठन अटका हुआ है।
सभी गुटों को साधने की कोशिश:
केंद्रीय नेतृत्त्व ने स्पष्ट रूप से सीएम व प्रदेश अध्यक्ष को निर्देश दिया है कि राज्य के सभी गुटों को साधकर ही संगठन में पदाधिकारी बनाये जायें और मंत्रिमंडल में पद दिए जायें।