{"vars":{"id": "127470:4976"}}

Bikaner Deepawali : परकोटे के बाहर जगमग, भीतरी शहर की तस्वीर दयनीय

 

RNE Bikaner.
 

राम आगमन के त्यौहार दीपोत्सव पर अयोध्या से दिल्ली होते हुए बीकानेर तक सरकारी और सामुदायिक प्रयासों से शहरों को  खुशियों की रोशनी से सजाने का प्रयास हुआ है। इसी कड़ी में बीकानेर शहर में भी प्रशासन ने इस बार विशिष्ट रोशनी के इंतजाम किये। पब्लिक पार्क, जूनागढ़, कोटगेट के बाहर, पंचशती सर्किल, व्यास कॉलोनी चौराहा, म्यूजियम सर्किल आदि इलाकों से गुजरते हुए रोशनी की जगमगाहट सुकून देती है। 

इससे इतर परकोटे के आस-पास और भीतरी शहर में तस्वीर जरा उलट नजर आती है। यहां घरों में लाइटें लगी हैं। शाम होने के बाद हर घर के आगे दीपक सज रहे हैं लेकिन दीपावली के प्रशासनिक इंतजाम इस तरफ कुछ कम ही पहुंचे हैं। जस्सूसरगेट, नत्थूसरगेट, गोगागेट पर लाइटों की कुछ लड़ियां जरूर लटकी है लेकिन पाटों और चौकों के शहर का कोई भी चौक प्रशासन को सजावट लायक नहीं लगा। लोगों को मलाल इस बात का भी है कि परकोटे के समीप इकलौता सर्किल नत्थूसरगेट के बाहर गोकुल सर्किल है। यहां तो कम से कम रोशनी की जा सकती थी।

नयाशहर थाने से रवाना होकर अंधेरे में डूबी सड़कों से गुजरा पुलिस का दीपावली फ्लैग मार्च !

पहले हर चौक-मोहल्लों में लगती थी अतिरिक्त लाइट्स:
 

परकोटे के भीतरी शहर में चर्चा है कि इससे पहले तक हर चौक, मोहल्ले और गलियों तक अतिरिक्त लाइट लगाई जाती थी। ये अस्थायी लाइट हालांकि दीपावली के बाद हटा ली जाती थी लेकिन त्यौहार के मौके पर शहर रोशन हो जाता। इस बार ऐसी लाइटों मंे भी कमी देखी गई है।

जयपुर-जोधपुर में परकोटे पर खास फोकस:
 

राजस्थान के बाकी शहरों में दीपावली सजावट के लिहाज से बात करें तो जयपुर परकोटा और उसके भीतरी शहर को इस कदर सजाया जाता है कि यह सजावट देखने देश ही नहीं दुनियाभर से लोग आते हैं। इसी तरह जोधपुर में भी परकोटे के भीतरी सजावट देखने रातभर लोगों का हुजूम उमड़ता है। इसकी वजह यह है कि इन प्राचीन शहरों की हैरिटेज बिल्डिंगों, दीवारों पर रोशनी की झालरे एक खास लुक ओर सुकून देती है।

दीपावली से एक दिन पहले, अपने हाथों से बिनानी चौक में जाम नाली की सफाई कर रहा शख्स!

इससे इतर बीकानेर शहर में ऊंट उत्सव की रस्मानी हैरिटेज वॉक के दौरान ही परकोटे के महज उन रास्तों, चौक, गलियों में सांस्कृतिक रंग बिखेरे जाते हैं जहां से एनजीओ वाले वॉक निकालने की सलाह प्रशासन को देते हैं।

तंग गलियां को ताना देने से पहले वृंदावन-काशी देख लें:
 

कई अधिकारी इस बात का बहाना बनाते हैं कि परकोटे के भीतरी बाजार सकरे, गलियां तंग है। ऐसे में ट्रैफिक सहित कई तरह की दिक्कतेें हैं। दरअसल यह कहते वक्त वे उन पुराने शहरों को एक बार भी दिमाग में नहीं लाते हैं जहां हर दिन हजार-दो हजार नहीं वरन लाखों पर्यटक इससे भी छोटी गलियों से गुजरते हैं। इन शहरों में मथुरा, वृंदावन, जतीपुरा, काशी आदि का नाम गिनाया जा सकता है।

अब एकबारगी यह काम रोककर रास्ता खोल दिया गया है।

इन शहरों के मंदिर तंग गलियों में हैं और इन गलियों में भी लंबी दूरी तक बाजार, होटल, रेस्टोरेंट, फुटपाथी दुकानदार आदि सब अपना कारोबार कर रहे हैं। इसके बावजूद इन शहरों मंे बेहतर प्रशासनिक इंतजाम के कारण परेशानी नहीं झेलनी पड़ती है।

सोशल मीडिया पर चल रहे ये कमेंट

इन्फ्रा में मात खा रहा बीकानेर:
 

यहां एक बात यह भी उल्लेखनीय है कि बीकानेर परकोटे का भीतरी इलाका इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी झेल रहा है। सीवरेज बिछाने में तकनीकी रूप से लगभग असफल हो चुका प्रशासन कई इलाकों मंे कई-कई महीनों से बार-बार खुदाई करवा रहा है। गोगागेट से बड़ा बाजार इलाका भी इसी में शामिल है। यहां लगभग सात महीनों से बार-बार खुदाई हो रही है। रास्ता लगभग बंद ही पड़ा है। दीपावली के मौके पर एकबारगी काम बंद करके यह रास्ता खोला गया है।

राजनीतिक छींटाकशी भी शुरू:
 

प्रशासनिक खामियां उन सियासी कटुताओं को और हवा दे देती हैं जो इस शहर में पहले नहीं देखी जाती थी। मसलन, बीकानेर पश्चिम के विधायक को सोशल मीडिया पर ताने दिये जा रहे हैं कि इस परकोटे के भीतर खामियां कहीं न कहीं जनप्रतिनिधि की जागरूकता या प्रशासनिक पकड़ कम होना दर्शाती है। विधायक के समर्थक भी जवाबी टिप्पणियां कर रहे हैं। हॉस्पिटल उद्घाटन मामले मंे विधायक की अनदेखी का जिक्र कर पार्टी, सरकार में पकड़ नहीं होने और बड़े नेताओं से 36 का आंकड़ा होने की बातें भी कही, लिखी जा रही है।

बेबस लोग देख रहे:
 

कुल मिलाकर प्रशासनिक नजरअंदाजी कहें या सियासी पकड़ का मसला, बीकानेर शहर के बड़े हिस्से की घनी आबादी में रहने वाले लोग लंबे समय से खुद को प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार मान रहे हैं। यह जुदा बात है कि कलेक्टर, संभागीय आयुक्त लगातार मीटिंगें लेने, सड़कों को मोटरेबल करने, लाइट, सफाई का इंतजाम करने के निर्देश देते नजर आते है।