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शहर में किधर भी निकल जाईये, रास्ता बंद मिलेगा, हर तरफ सड़क बनती दिखेगी, सफर उस पर मुश्किल

पीडब्ल्यूडी, प्राधिकरण, निगम में कोई तालमेल नहीं
विकास का ये भद्दा रूप, जन प्रतिनिधि मूक दर्शक बने
ब्यूरोक्रेशी पर न जन नेता की, न जनता की लगाम
 

रितेश जोशी

RNE Special.


बीकानेर शहर की चारों दिशाओं और हर कोने में इस समय पैदल चलने वाले, दुपहिया - तिपहिया व चार पहियों के वाहन चलाने वालों को सड़क ढूंढनी पड़ रही है, वो मिले तो उस पर वे सफर कर सकें। जिधर ये लोग मुड़ते है, उधर सड़क पर गड्ढे खुदे मिलते है और सड़क को बंद किया रहता है।

आधी सड़क को भी दो हिस्सों में विभाजित किया हुआ है ताकि लोग चल सकें। इतने छोटे मार्ग पर कोई कैसे चलेगा, यह कोई सोचता ही नहीं। मार्ग छोटा है तो जाहिर है उस पर चलने वाले अधिक है। उससे जाम लगना तो तय ही है। जो बचे - खुचे मार्ग है, वहां जाम लगे है। यह दृश्य पूरे शहर का है। चाहे सूरसागर के सामने की सड़क हो या गजनेर रोड़ के पुल के पास की सड़क।

चाहे पत्रकार कॉलोनी की सड़क हो या गोगा गेट की सड़क। किस किस जगह का जिक्र करें। नगर की हर सड़क इन दिनों गड्ढों में समाई हुई है।
 

विकास को लेकर तालमेल नहीं:
 

सड़कों को बनाने का काम सार्वजनिक निर्माण विभाग, बीकानेर विकास प्राधिकरण व नगर निगम की तरफ से हो रहा है। इन तीनों सरकारी महकमों में कोई तालमेल नहीं होने के कारण ही बीकानेर के सभी मार्गों को एक साथ खोद दिया गया है।
 

यदि ये विभाग आपस में तालमेल नहीं करते तो दायित्त्व जिला प्रशासन का बनता है। संभागीय आयुक्त व जिला कलेक्टर को इन विभागों की लगाम कसनी चाहिए। लोगों को गड्ढों से बचाना चाहिए। एक मार्ग पर विकास हो तो उसका वैकल्पिक मार्ग सही हो। उस पर पहले के मार्ग का काम पूरा होने पर निर्माण शुरू हो। प्रशासन को सख्ती से इन महकमों में तालमेल बिठाना चाहिए।
 

विकास का यह भद्दा रूप:
 

इसे विकास कहना किसी भी सूरत में उचित नहीं। ये विकास का भद्दा रूप है। जो विकास जनता की सुविधाओं को बाधित करके किया जाए उसे तो भद्दा ही माना जायेगा। कोई भी सड़क जो शहर से परकोटे के बाहर आती है या बाहर से परकोटे के भीतर जाती है, आधा किलोमीटर भी सही नहीं है।

गड्ढों, जाम से वाहन चालक गिर रहे है। चोटिल हो रहे है। समय पर अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पा रहे है। समय और धन की बर्बादी हो रही है आदि आदि। तो फिर इसे विकास की संज्ञा कैसे दी जाए।
 

जन प्रतिनिधि मूक दर्शक बने है:
 

बीकानेर की इस दुर्दशा व भद्दे विकास को सारे जनप्रतिनिधि देख रहे है, लेकिन मूक दर्शक बने हुए है। उनको जनता की समस्या से कोई सरोकार ही नहीं। सुनियोजित विकास, जिसमे जनता का मार्ग बाधित न हो, उसकी योजना बनाने की बात कोई जन प्रतिनिधि कह भी नहीं रहा। सत्ता पक्ष व विपक्ष, दोनों तरफ के जन प्रतिनिधि मूक दर्शक बने हुए है। जनता परेशान है, तो उनको क्या ?
 

ये तरीका गलत है : जदुसांगत
 

शहर कांग्रेस के नेता राहुल जादुसंगत का कहना है कि ये विकास का तरीका सही नहीं। जनता को परेशानी से बचाते हुए निर्माण कार्य होने चाहिये। जल्दबाजी में हो रहे इन निर्माण कार्यों की गुणवत्ता भी सही नहीं रह पाती। जो जन धन का दुरुपयोग है। कांग्रेस इस स्थिति की निंदा करती है और चेतावनी देती है कि यदि सुधार नही हुआ तो कांग्रेस सड़कों पर उतरेगी।

राहुल जदुसंगत, कांग्रेस नेता