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डॉ.छगन मोहता स्मृति व्याख्यान : प्रोफेसर अरुण कुमार  "भारत में बेरोजगारी और असंगठित क्षेत्र अदृश्य होने" पर करेंगे बात

Chhagan Mohta Smriti Vyakhyanmala
 

RNE Bikaner.
 

हर वर्ष एक खास विषय पर ख्यातनाम विशेषज्ञों के विचार-मंथन से देश-प्रदेश में विशिष्ट साख बनाने वाले डॉ. छगन मोहता स्मृति व्याख्यानमाला में इस बार फिर एक गंभीर विषय पर विशिष्ट वक्ता अपनी बात रखेंगे। विषय है  “भारत में बेरोजगारी और असंगठित क्षेत्र का अदृश्य होना”। वक्ता होंगे आर्थिक जगत के सुप्रसिद्ध विचारक प्रो. अरुण कुमार। कल यानी 07 नवंबर को शाम 05 बजे प्रौढ़ शिक्षा भवन में होने वाले इस व्याख्यान की अध्यक्षता प्रख्यात विचारक डॉ. नन्दकिशोर आचार्य करेंगे।


 

दरअसल बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली डॉ. छगन मोहता स्मृति व्याख्यानमाला का 21वां आयोजन श्हुक्रवार को है। समिति के अध्यक्ष डॉ. ओम कुवेरा ने बताया कि इस वर्ष आर्थिक जगत के सुप्रसिद्ध विचारक प्रो. अरुण कुमार “भारत में बेरोजगारी और असंगठित क्षेत्र का अदृश्य होना” विषय पर अपना व्याख्यान देंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात विचारक नन्दकिशोर आचार्य करेंगे।
 

अब तक हो चुके 20 व्याख्यान, ये रहे वक्ता  : 

दार्शनिक-मनीषी डॉक्टर छगन मोहता की स्मृति में अब तक 20 व्याख्यान हो चुके। पहला व्याख्यान इतिहासवेत्ता धर्मपाल का रहा। अब तक विचारक रमेशचन्द्र शाह, अर्थशास्त्री प्रोफेसर विजयशंकर व्यास, दर्शनशास्त्री प्रोफेसर चांदमल, साहित्यकार अशोक वाजपेयी, समाजशास्त्री रमाश्रय राय, शिक्षाशास्त्री कृष्ण कुमार, कवि-चिंतक डॉक्टर नंदकिशोर आचार्य, पत्रकार राजकिशोर, रंग मर्मज्ञ नेमिचन्द्र जैन, शिक्षाविद अनिल बोर्दिया, कवि गिरधर राठी, तेरापंथ के आचार्य श्रीमहाप्रज्ञ, कला समीक्षक विजयशंकर, इस्लाम के अध्येता प्रोफेसर अख्तरुल वासे, कालविद मुकुन्द लाठ, आलोचक पुरुषोत्तम अग्रवाल, शायर शीन काफ निजाम, चिंतक प्रियंवद, विचारक अभय कुमार दुबे, विचारक हरिराम मीणा व्याख्यान दे चुके हैं।

जानिए कौन है अरुण कुमार : 
 

अरुण कुमार एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और काले धन की अर्थव्यवस्था पर देश के अग्रणी विशेषज्ञ हैं। उन्होंने लगभग चार दशकों तक इस विषय पर व्यापक रूप से लेखन, अध्ययन और व्याख्यान दिया है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और प्रिंसटन विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने तीन दशकों तक जेएनयू में अर्थशास्त्र पढ़ाया और 2015 में सेवानिवृत्त हुए।
 

कुमार के मुख्य क्षेत्रों में लोक वित्त, विकास अर्थशास्त्र, लोक नीति और समष्टि अर्थशास्त्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों में उनका कार्य लोकप्रिय प्रेस और अकादमिक पत्रिकाओं, दोनों में व्यापक रूप से प्रकाशित हुआ है।