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ध्यान सिर्फ चालान पर क्यों ? टूटी सड़क, काले शीशे, इन पर भी नजर डालो !!

ट्रैफिक पुलिस की नजरों के सामने से गुजरती है काले शीशों की गाड़ियां
अपराध पनपते है काली दीवारों के पीछे
टूटी सड़क, गड्ढे भी तो देखो ट्रैफिक वाले भैया
केवल चालान काटना ही यातायात सही करना नहीं
 

रीतेश जोशी

RNE Special.

आम पुलिस से ज्यादा जिम्मेवारी का काम ट्रैफिक पुलिस का है। लंबे समय तक एक ही सड़क, बाजार, सूने इलाके में खड़े रहकर ड्यूटी देना। छांव मिले तो भाग्य। नहीं तो धूप, आंधी, बारिश से बचने का स्थान भी खुद को ही तलाशना। कहीं कोई व्यवस्था नहीं। सच में, बड़ी कठिन है मगर महत्ती है ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी।
 

जब इतना श्रम करते है तो ध्यान भी पूरा रखना जरूरी है। केवल चालान काटकर टारगेट पूरा करना ध्येय नहीं इस ड्यूटी का। हेलमेट नहीं तो चालान, तेज स्पीड तो चालान, लाइसेंस नहीं तो चालान। हेड लाइट नहीं तो चालान। केवल चालान काटने से ही ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी पूरी नहीं होती, इससे अधिक जिम्मेवारी भी है। उस पर भी ध्यान देना जरूरी है। यदि ध्यान आ जायेगा तो अपराध घट जायेंगे, दुर्घटनाएं रुक जायेगी।
 

सड़क भी सही हो, ये देखना जरूरी:
 

एक ट्रैफिक पुलिस ही सड़क की स्थिति पर नजर रख सकती है। हर वाहन तभी सही चलेगा जब सड़क दुरस्त होगी। टूटी फूटी सड़कों पर तो वाहन भी सही नहीं चलेगा। यदि हम सही वाहन न चलाने पर चालान काटते है तो खराब सड़क सही कराने की बात सम्बंधित विभाग तक पहुंचाना भी ड्यूटी है। ट्रैफिक पुलिस खुद या विभाग के अधिकारियों के जरिये इस बड़ी यातायात समस्या का निदान भी करा सकती है।

गड्ढों में सड़क की तस्वीर भी देखे:
 

शहर की अनेक जगह ऐसी है जहां सड़क तो है, मगर वो गड्ढों में है। इस कारण लोगों के वाहन क्षतिग्रस्त होते है। चोट लगती है। इस पर भी तो ट्रैफिक पुलिस को ध्यान देना चाहिए। सम्बंधित विभाग को सचेत करना चाहिए। 
 

काले शीशों को तो हटवाऐं:
 

कई गाड़ियां काले शीशे में दौड़ती नजर आती है। इन काले शीशों पर पाबंदी है। क्योंकि अपराध काले शीशों के पीछे ही पनपता है। इन पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। केवल साधारण कमियों पर चालान काटने से बेहतर इन काले शीशों की गाड़ियों को पकड़ना है। 

रुद्रा न्यूज एक्सप्रेस के सवाल:
 

  1. क्या केवल हेलमेट न होने के चालान काटना ही काम रह गया
  2. टूटी सड़के तो ठीक कराओ, फिर यातायात नियमों की पालना कराओ
  3. बेहतर सड़क के बिना काहे का चालान
  4. काले शीशों की कितनी गाड़ियां पकड़ी, ये भी तो हिसाब दो
  5. ट्रैफिक सेंस सिखाना भी दायित्त्व नहीं है क्या ?