GST Change : केंद्र सरकार जीएसटी स्लैब में कर रही बदलाव, एक स्लैब को किया जाएगा खत्म
केंद्र सरकार द्वारा आठ साल के बाद जीएसटी के नियमों में बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा बदलाव को लेकर सभी राज्य सरकारों से बातचीत चल रही है। जहां पर एक ही वस्तु को लेकर कई-कई तरह की जीएसटी लगाई जा रही है, लेकिन वित्त मंत्रालय द्वारा इसको एक ही करने की योजना है। जल्द ही केंद्र सरकार इस बदलाव की घोषणा कर सकती है। कच्चे माल और उनसे बनने वाले तैयार माल की जीएसटी दर को समान करने पर चर्चा हो रही है तो जीएसटी रिफंड को इनकम टैक्स रिफंड की तरह सरल बनाने की कोशिश की जा रही है।
सभी राज्यों के एकमत होने पर ही जीएसटी से जुड़ा कोई भी बदलाव लाया जा सकता है और यह बदलाव जीएसटी काउंसिल की बैठक में ही संभव है। इसलिए जीएसटी की अगली बैठक से पहले राज्यों के बीच सहमति बनाने की कोशिश है। यह अलग बात है कि पिछले सात महीनों से जीएसटी काउंसिल की बैठक नहीं बुलाई गई है, जबकि चलन के मुताबिक हर तीसरे महीने काउंसिल की बैठक बुलाई जाती है। अब संसद सत्र के खत्म होने के बाद अगस्त आखिर या सितंबर शुरू में ही काउंसिल की बैठक संभव है।
वित्त मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि काउंसिल की बैठक भले ही नहीं बुलाई गई है, लेकिन जीएसटी में बड़े बदलाव की तैयारी पर काम चल रहा है। राज्यों के साथ इस संबंध में कई बैठकें भी हुई हैं। आठ साल पहले वर्ष 2017 की जुलाई में जीएसटी प्रणाली की शुरुआत के बाद से ही जीएसटी स्लैब को कम करने की चर्चा चल पड़ी थी, लेकिन इस दिशा में कुछ नहीं हुआ।
अब जीएसटी संग्रह भी मासिक रूप से दो लाख करोड़ से अधिक होने लगा है, इसलिए अब उपभोक्ता और कारोबारी दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए बदलाव की तैयारी हो रही है। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि विकसित देशों में जीएसटी का एक ही स्लैब है, लेकिन भारत में यह संभव नहीं है। अभी जीएसटी स्लैब मुख्य रूप से पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत का है। सोने पर तीन प्रतिशत जीएसटी है।
12 प्रतिशत के स्लैब को खत्म करने की तैयारी
वित्त मंत्रालय द्वारा जीएसटी को लेकर लगातार मंथन किया जा रहा है। जहां पर जीएसटी के बनाए गए अलग-अलग स्लैब पर विचार किया जा रहा है। केंद्र सरकार 12 और 18 की जगह एक नया स्लैब लाया जा सकता है। 12 प्रतिशत के स्लैब को समाप्त कर उस स्लैब में शामिल वस्तुओं को पांच और 18 प्रतिशत के स्लैब में शामिल किया जा सकता है। ऐसे में, वर्तमान में 12 प्रतिशत में शामिल जिन वस्तुओं को 18 प्रतिशत के स्लैब में शामिल किया जाएगा, वे महंगी हो जाएंगी और जिन्हें पांच प्रतिशत में डाला जाएगा, वे सस्ती हो जाएंगी। ऐसे में महंगी होने वाली वस्तु की बिक्री प्रभावित हो सकती है। राज्यों के बीच इन्हीं सब चीजों को लेकर सहमति बनानी है।
आम लोगों से जुड़ी चीजों की जीएसटी दर में लाई जा सकती है कमी
अभी गारमेंट से लेकर फुटवियर तक में 1000 रुपये से अधिक और कम कीमत पर अलग-अलग जीएसटी दरें हैं। इस प्रकार की असमानता को खत्म किया जा सकता है। गारमेंट से जुड़े कच्चे माल पर जीएसटी की दर अलग है तो तैयार माल पर अलग। इसे भी एक समान करने की तैयारी हो रही है।
इससे कारोबारियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) लेने में दिक्कत होती है। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक आम लोगों से जुड़ी चीजों की जीएसटी दर में कमी लाई जा सकती है। इससे इन वस्तुओं की खपत बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। जीएसटी कम करने से बिक्री अधिक होगी और इससे राजस्व भी प्रभावित नहीं होगा।