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वर्ल्ड इकोनॉमी के लिए गेम चेंजर होगी क्रिप्टो करेंसी

 

Share Market: ट्रम्प राजनीतिज्ञ के साथ-साथ एक कारोबारी भी हैं और उनकी नजर अगर क्रिप्टोकरेंसी पर है तो इसकी वजह भी है। कॉइनगेको वेबसाइट के अनुसार इस समय क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट कैप 3.26 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। हालांकि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अब भी कई अनिश्चितताएं हैं।

 क्रिप्टोकरेंसी वर्ल्ड इकोनॉमी के लिए गेम चेंजर बन सकती है। आखिर ऐसा क्यों, इसके पीछे ये वजहें गिनाई जा रही हैं। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार ब्लॉकचेन आधारित प्रणालियों से वैश्विक व्यापार की लागत में 1.6 ट्रिलियन डॉलर की बचत हो सकती है, खासकर क्रॉस बॉर्डर ट्रांजैक्शन में। वर्ल्ड बैंक कहता है कि क्रिप्टो से खासकर अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया के 19 करोड़ उन लोगों को वित्तीय सेवा मिली है। 

जिनकी बैंकिंग सिस्टम तक पहुंच नहीं है। फाइनेंशियल टाइम्स और बीआईएस की रिपोर्ट कहती है कि स्टेबल कॉइन्स जैसे USDT/USDC से त्वरित और सस्ता ट्रांजैक्शन सिस्टम बन रहा है, जिससे पारंपरिक बैंकिंग मॉडल को चुनौती मिल रही है।

कॉइनवेस के सीईओ ब्रायन आर्मस्ट्रॉन्ग का अनुमान है कि 2030 तक क्रिप्टो का बाजार कैप 10 ट्रिलियन डॉलर हो सकता है, यानी दुनिया की जीडीपी का 10% हिस्सा। तो इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती।

आज की स्थिति में करीब 28 फीसदी अमेरिकी वयस्क यानी 6.5 करोड़ लोग क्रिप्टोकरेंसी के मालिक हैं। यह संख्या चार साल पहले की तुलना में दोगुनी है।

अमेरिका को दुनिया की 'क्रिप्टो कैपिटल' बनाने का वादा किया

डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछली जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेते समय अमेरिका को दुनिया की 'क्रिप्टो कैपिटल' बनाने का वादा किया था। ट्रम्प ने जब पिछले हफ्ते पाकिस्तान के सेना प्रमुख को लंच पर न्यौता दिया तो ईरान-इजराइल जंग के अलावा उनके पर्सनल व्यापारिक हितों को इसकी बड़ी वजह बताया गया। माना गया कि ट्रम्प अब पाकिस्तान जैसे देशों में क्रिप्टोकरेंसी कारोबार का विस्तार करना चाहते हैं और इसकी कमान वहां की सेना और सत्ता प्रतिष्ठान में ऊंचे पदों पर विराजमान लोगों को सौंपना चाहते हैं।

भारत जैसे देशों में इसे संदेह की नजरों से देखा जाता है। वैसे यूरोपीय यूनियन और अमेरिकी सीनेट ने इस संबंध में कुछ कानून पारित किए हैं। यह दर्शाता है कि अब सरकारें इसे गंभीरता से लेने लगी हैं। आईएमएफ ने भी बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को अपने इकोनॉमिक डेटा स्टैंडर्ड में एक असेट के रूप में मान्यता दी है। 

विशेषज्ञ इसे एक बड़ा कदम मान रहे हैं। हालांकि आईएमएफ ने यह चेतावनी भी दी है कि इससे कम आय वाले देशों जैसे पाकिस्तान में मॉनिटरी पॉलिसी की निगरानी कमजोर हो सकती है।