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New Airport : एशिया का सबसे बड़ा व दुनिया का चौथा नया एयरपोर्ट भारत में बनकर तैयार, यूपी, हरियाणा, दिल्ली से होगी सीधी कनेक्टिविटी 

हवाई अड्डे से जहां से उत्तर प्रदेश को सीधा लाभ मिलेगा, वहीं हरियाणा, दिल्ली के साथ पास के अन्य राज्यों के लिए विकास के नए आयाम स्थापित करने वाला है।
 

भारत हवाई सफर के मामले में दुनिया में बड़ी उड़ान भरने को तैयार है। नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा हवाई अड्डा बनकर तैयार हो गया है। इस हवाई अड्डे से जहां से उत्तर प्रदेश को सीधा लाभ मिलेगा, वहीं हरियाणा, दिल्ली के साथ पास के अन्य राज्यों के लिए विकास के नए आयाम स्थापित करने वाला है।

परिवहन और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में हुए बड़े बदलावों में सबसे अहम है नोएडा के जेवर में निर्माणाधीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जिसे वर्ष 2047 तक यूपी को एविएशन हब बनाने की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बनने वाला यह विशाल हवाई अड्डा राज्य की अर्थव्यवस्था, व्यापार और पर्यटन को नई गति देगा। अत्याधुनिक रनवे, टर्मिनल और यात्री सुविधाओं के साथ यह हवाई अड्डा हवाई यात्रा की क्षमता को कई गुना बढ़ाएगा।

इसके निर्माण से स्थानीय स्तर पर रोजगार के बड़े अवसर सृजित होंगे, जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। साथ ही, यूपी को देश और दुनिया से बेहतर कनेक्टिविटी भी मिलेगी, जो व्यापार और निवेश के नए मार्ग खोलेगी। यह एयरपोर्ट न केवल एक प्रमुख कनेक्टिविटी हब बनेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश को वैश्विक मानचित्र पर नई पहचान भी दिलाएगा।

नोएडा एयरपोर्ट की मुख्य विशेषताएं

नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा हवाई अड्डा है। लगभग 29650 करोड़ रुपये की लागत से जेवर में एयरपोर्ट का हो रहा निर्माण है। 5,845 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह एयरपोर्ट अत्याधुनिक तकनीक से लैस होगा। पहले चरण में 1,334 हेक्टेयर में रनवे, टैक्सी वे, टर्मिनल बिल्डिंग एवं पार्किंग क्षेत्र का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है।  

नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा 6 रनवे और 4 टर्मिनल वाला भारत का पहला एयरपोर्ट होगा।  एयरपोर्ट पर एक साथ 178 विमानों को खड़े किये जाने की होगी व्यवस्था, व्यावसायिक उड़ानों के लिए हवाई अड्डा बेहद सक्षम होगा। हवाई अड्डे को एयरपोर्ट सिटी मॉडल पर विकसित किया जा रहा है। इसमें एरोसिटी, लॉजिस्टिक्स हब, बिजनेस जोन और हॉस्पिटेलिटी जोन शामिल होंगे।

यहां अत्याधुनिक स्मार्ट तकनीक और डिजिटल प्रोसेसिंग सिस्टम स्थापित किए जाएंगे। यात्री कागज-रहित डिजिटल एंट्री के माध्यम से यात्रा कर सकेंगे। हवाई अड्डे में कार्बन-न्यूट्रल और सस्टेनेबल मॉडल अपनाया जा रहा है। ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा सोलर पावर से पूरा किया जाएगा। हवाई अड्डे में 70 मिलियन से ज्यादा यात्रियों की वार्षिक क्षमता प्लान की गई है। भविष्य में यह संख्या दोगुनी तक बढ़ाई जा सकती है।

हवाई अड्डे को दिल्ली-एनसीआर से अत्याधुनिक मल्टी-मोड कनेक्टिविटी से जोड़ा जा रहा है। इसमें मेट्रो, एक्सप्रेसवे और रैपिड रेल जैसी सुविधाओं का सीधा कनेक्शन उपलब्ध होगा। हवाई अड्डे के आसपास इंडस्ट्रियल कॉरिडोर भी विकसित किया जा रहा है। इससे बड़े पैमाने पर कारोबार और फैक्ट्रियां स्थापित होंगी। एयरपोर्ट का विकास कार्गो स्पेशलाइज्ड हवाई अड्डा भी बनाया जा रहा है। यह उत्तर भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट हब बनने की क्षमता रखता है।

वर्ल्ड-क्लास सुविधा

हवाई अड्डे पर वर्ल्ड-क्लास लाउंज और प्रीमियम टर्मिनल सुविधाएं होंगी। यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की गुणवत्तापूर्ण सेवाएं मिलेंगी।

कनेक्टिविटी

हवाई अड्डे की डायरेक्ट मेट्रो कनेक्टिविटी से नोएडा और दिल्ली तक यात्रा आसान होगी। इससे ट्रैवल टाइम को कम करने में मदद मिलेगी।

अत्याधुनिक स्टोर

बड़े आकार का अत्याधुनिक ड्यूटी-फ्री स्टोर यात्रियों को विश्वस्तरीय शॉपिंग अनुभव देगा, जहां प्रमुख वैश्विक ब्रांड्स होंगे उपलब्ध।

अत्याधुनिक सिक्योरिटी

हवाई अड्डे में यात्रियों की सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक सिक्योरिटी सिस्टम लगाया जाएगा। इसमें AI आधारित स्कैनिंग टेक्नोलॉजी होगी।