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भागवत बोले, आध्यात्मिकता के बिना नैतिकता का अर्थ नहीं, भागवत ने महाश्रमण जी से मुलाकात की, अहिंसा पर बल दिया

 

RNE Network.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि आध्यात्मिकता के बिना नैतिकता का कोई अर्थ नहीं। उन्होंने कहा कि अगर समाज ' मैं सबमें हूं और सब मुझमें है' के मंत्र को अपनाए तो हिंसा अपने आप समाप्त हो जाएगी।
 

गुजरात दौरे के दूसरे दिन भागवत गांधीनगर के पास कोबा स्थित प्रेक्षा विश्व भारती ध्यान केंद्र पहुंचे, जहां उन्होंने जैन संत आचार्य महाश्रमणजी से भेंट की। भागवतवने कहा कि व्यक्तिगत और राष्ट्रीय चरित्र का आधार नैतिकता है, और नैतिकता का आधार आध्यात्मिकता है। 
 

भागवत ने बताया कि संघ अपने शताब्दी वर्ष में कोई बड़ा आयोजन नहीं करेगा, क्योंकि देश के लिए 100 साल काम करना हमारा कर्तव्य था, उत्सव का कारण नहीं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष संघ समाज मे समरसता और जागरुकता बढ़ाने के लिए 5 प्रकार के कार्यक्रम चला रहा है -- परिवार शिक्षा, सामाजिक सौहार्द्र, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्त्तव्य और स्वदेशी को बढ़ावा।