CBSE Board Exam : सीबीएसई ने 10वीं व 12वीं की परीक्षा का तरीके को बदला, बिना कठिनाई के मिलेंगे भरपूर अंक
10वीं व 12वीं की सीबीएसई की परीक्षा देने देने वाले विद्यार्थी परीक्षा का डर बिल्कुल ही मन से निकाल दे। इस बार विद्यार्थी 50 प्रतिशत प्रश्नों के उत्तर बिना किसी कठिनाई से दे सकेंगे और अच्छे अंक भी हासिल कर सकेंगे। सीबीएसई ने विद्यार्थियों के मन से डर निकालने के लिए इस तरह की प्रक्रिया को किया है। दो से तीन प्रो-बोर्ड परीक्षाओं के साथ ही विषयवार प्रैक्टिस टेस्ट भी बोर्ड परीक्षा की तर्ज पर कुछ स्कूलों ने कराना शुरू कर दिया है।
अन्य स्कूलों को भी इसी तर्ज पर परीक्षार्थियों को अतिरिक्त टेस्ट में शामिल करना चाहिए जिसका लाभ बोर्ड परीक्षा में मिलेगा। प्रयोगात्मक परीक्षाएं एक जनवरी को शुरू होंगी। उसकी तैयारी के साथ ही स्कूलों में बोर्ड परीक्षार्थियों को बारीकी से तैयारी की जा रही है जिससे दक्षता आधारित प्रश्नपत्र में पूछे जाने वाले 50 प्रतिशत प्रश्नों का उत्तर परीक्षार्थी बिना कठिनाई के दे सकें।
2026 की बोर्ड परीक्षा में सीबीएसई की 10वीं और 12वीं दोनों बोर्ड परीक्षाओं में 50 प्रतिशत प्रश्न दक्षता आधारित (कंपीटेंसी बेस्ड क्वेश्चंस), 20 प्रतिशत प्रश्न चयनात्मक उत्तर वाले (एमसीक्यू-बहुविकल्पीय) और 30 प्रतिशत प्रश्न पारंपरिक वर्णनात्मक (शार्ट व लांग अंसर) के प्रश्न पूछे जाएंगे।
केवल पेपर में नहीं, व्यवस्था में है बदलाव
प्रश्नपत्रों में प्रश्नों के पैटर्न में किया गया बदलाव केवल परीक्षा प्रारूप में परिवर्तन नहीं है। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की भावना के अनुरूप छात्रों के वास्तविक सीखने और समझ को आंकने का सशक्त प्रयास है। इस नई व्यवस्था में छात्रों से केवल रटकर लिखने की अपेक्षा नहीं होगी, बल्कि उनसे अपेक्षा रहेगी कि वे अपने ज्ञान को वास्तविक जीवन स्थितियों, केस स्टडी, स्रोत-आधारित प्रश्नों और विश्लेषणात्मक परिस्थितियों में लागू कर सकें। इसका सीधा अर्थ है कि प्रश्नों का स्वरूप अधिक व्यावहारिक, तार्किक और सोच-आधारित होगा। परीक्षार्थियों को उसी के अनुरूप प्रश्नों के उत्तर भी लिखने होंगे।
छात्रों को अब यह करना चाहिए
-छात्रों को अब केवल किताबें पूरा करने पर संतुष्ट नहीं होना चाहिए।
-गहरी समझ विकसित करें, कांसेप्ट स्पष्ट करें।
-केस-बेस्ड और सोर्स-बेस्ड प्रश्नों का लगातार अभ्यास करें।
-विभिन्न विषयों के रेगुलर प्रैक्टिस टेस्ट दें।
-समय प्रबंधन और उत्तर प्रस्तुतीकरण पर काम करें
अत्यंत महत्वपूर्ण है स्कूलों और शिक्षकों की भूमिका
-अब यह समय है कि स्कूल अपनी शैक्षणिक रणनीति में बदलाव करें।
-वर्ष भर निरंतर योग्यता-आधारित प्रश्नों का अभ्यास कराया जाए।
-दो से तीन प्री-बोर्ड परीक्षाएं अनिवार्य रूप से आयोजित हों।
-छात्रों के लिए माक टेस्ट, रीमेडियल क्लास और एनालिटिकल अभ्यास सत्र चलाए जाएं।
-शिक्षकों को भी प्रश्न-पत्र निर्माण की नई दिशा में प्रशिक्षित किया जाए।