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केंद्र सरकार ने शुरू की बाढ़ की पूर्वानुमान प्रणाली, अब गांव स्तर मिलेगी चेतावनी 

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन आपातकालीन प्रतिक्रिया पोर्टल के साथ पूर्वानुमानों को एकीकृत करने और उपग्रह व जमीनी सत्यापन के जरिये सटीकता में सुधार
 

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने बुधवार को सी-फ्लड नामक वेब आधारित बाढ़ की पूर्वानुमान प्रणाली की शुरुआत की। इसे दो दिन पहले तक गांव स्तर पर चेतावनी देने के लिए डिजायन किया गया है।

इस प्रणाली को केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), सेंटर फार डेवलपमेंट आफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) और नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) ने विकसित किया है। इसे इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मैती) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा संयुक्त रूप से संचालित राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) के तहत प्रारंभ किया गया है।

पाटिल ने कहा, "यह भारत की बाढ़ प्रबंधन यात्रा में एक परिवर्तनकारी कदम है।" उन्होंने सीडब्ल्यूसी और संबद्ध संस्थानों को बाढ़ अध्ययन के लिए एक राष्ट्रीय योजना तैयार करने और सभी प्रमुख नदी बेसिन तक कवरेज का विस्तार करने का भी निर्देश दिया। वर्तमान में यह प्रणाली 2-डी हाइड्रोडायनामिक माडल का उपयोग करके महानदी, गोदावरी एवं तापी नदी बेसिन के लिए वास्तविक समय के बाढ़ के मानचित्र और जलस्तर का पूर्वानुमान प्रदान करती है।

पाटिल ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन आपातकालीन प्रतिक्रिया पोर्टल के साथ पूर्वानुमानों को एकीकृत करने और उपग्रह व जमीनी सत्यापन के जरिये सटीकता में सुधार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि उन्होंने जल क्षेत्र में एआइ और इंटरनेट आफ थिंग्स जैसी आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल पर केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव से चर्चा की है। इस बीच, सीडब्ल्यूसी ने बुधवार को बताया कि 11 नदी निगरानी केंद्रों पर जलस्तर चेतावनी स्तर को पार कर गया है। हालांकि किसी भी स्थान पर यह खतरे या अत्यधिक बाढ़ की सीमा तक नहीं पहुंचा है।