Gold Mine : भारत में अब नहीं रहेगी सोने की कमी, छह जिलों में मिला सोने का भंडार
खनिज संपदा से भरपूर ओडिशा की धरती अब सोने के भंडार मिले है। जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआइ) ने यहां के छह जिलों में सोने का भंडार होने की पुष्टि की है। इन जिलों में देवगढ़, सुंदरगढ़, नवरंगपुर, क्योंझर, अनुगुल और कोरापुट शामिल हैं।
ओडिशा के खनन मंत्री विभूति भूषण जेना के अनुसार, इन जिलों में राज्य सरकार जल्द ही सोने की खदानों की नीलामी करने की तैयारी में है। देवगढ़ के अड्स-रामपल्ली में खोज पूरी हो चुकी हैं। यहां खदान की नीलामी के लिए ओडिशा माइनिंग कार्पोरेशन (ओएमसी) और जीएसआइ मिलकर काम कर रहे हैं। वहीं, राज्य के मयूरभंज, मलकानगिरी, संबलपुर और बौद्ध जिलों के भी अलग-अलग स्थान पर सोने के भंडार की खोज हो रही है।
बड़े पैमाने पर हो सकेगा खनन
जीएसआइ की रिपोर्ट के अनुसार अभी छह जिलों में 20 मीट्रिक टन से अधिक सोने का भंडार होने का पता चला है। ओडिशा माइनिंग कारपोरेशन और जीएसआइ मिलकर इस खोज को व्यावसायिक रूप देने की दिशा में काम कर रहे हैं।
जीएसआइ की टीम ने लंबे सर्वे और परीक्षण के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है। बताया जा रहा है कि इन क्षेत्रों में सोने की सांद्रता इतनी है कि यहां बड़े पैमाने पर खनन संभव हो सकेगा।
देवगढ़ में पहला गोल्ड ब्लाक, चांदी, तांबा, निकल और ग्रेफाइट भी मिला
देवगढ़ के अड़स-रामपल्ली क्षेत्र में जीएसआइ को सोने के साथ तांबा, निकल, चांदी और ग्रेफाइट भी मिला है। यह स्थान ओडिशा में गोल्ड ब्लाक का पहला नीलामी स्थल बनने जा रहा है। इसकी विस्तृत ड्रिलिंग और सैंपलिंग की जा रही है, ताकि भंडार की गुणवत्ता और निकासी की संभावना तय हो सके। इसी तरह क्योंझर जिले के गोपुर गाजीपुर, मनकड़चुआन और दिमिरमुंडा में सोने की खोज चल रही है।
पर्यावरणीय मानकों के तहत होगा खनन कार्य
सरकार ने साफ किया है कि खनन कार्य पर्यावरणीय मानको के तहत ही होगा। साथ ही. प्रभावित गांवों और स्थानीय लोगों के पुनर्वास व विकास का पूरा ध्यान रखा जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर खनन सफल रहा तो राज्य की आय में भारी बढ़ोतरी होगी।
स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। खनन से जुड़े सहायक उद्योगों को फायदा होगा। ओडिशा देश के सोना उत्पादन में एक नई पहचान बना सकेगा।
देश में हर साल 800 टन सोने का आयात
भारत में हर साल करीब 700 से 800 टन सोने का आयात किया जाता है, जबकि घरेलू उत्पादन महज 1.6 टन ही है। अगर बड़े सोने के भडारों का पता चलता है तो दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता कम हो सकती है।
ऐसे होती है सोने की खोज
सोने का पता लगाने की प्रक्रिया वैज्ञानिक, तकनीकी और चरणबद्ध होती है। सबसे पहले भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के माध्यम से चट्टानी, मिट्टी और इलाके की संरचना का अध्ययन किया जाता है। इसके बाद भू-रासायनिक परीक्षण में मिट्टी, पानी और चट्टानों के नमूनों की जांच कर सोने के कणों की मौजूदगी की पुष्टि की जाती है।
भू-भौतिकीय तकनीके जैसे चुंबकीय, गुरुत्वीय और विद्युत विधियां भी जमीन के नीचे की संरचना का आकलन करने में सहायक होती है। संभावित क्षेत्रों में ड्रिलिंग कर कोर सैंपल निकाले जाते हैं, जिन्हें प्रयोगशाला में जांचा जाता है कि उनमें सोने की कितनी मात्रा है। इसके अतिरिक्त, सैटेलाइट इमेज और डोन सर्वेक्षण से सतह पर मौजूद खनिज संकेतों की पहचान की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद ही खनन की अनुमति और योजना बनाई जाती है।
भारत में कहां-कहां सोना
कर्नाटक: देश का सबसे बड़ा
सोना उत्पादक राज्य, हुत्टी और कोलार गोल्ड फील्ड प्रसिद्ध है।
झारखंड: सिंहभूम क्षेत्र में सोने की खनिज संभावनाएं पाई गई है।
आंध प्रदेशः अनंतपुर और
चित्तूर जिलों में सोना पाया जाता है।
छत्तीसगढ़: सोनाखान और
आसपास के क्षेत्रों में सोने की खदानों की संभावना है।