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शिक्षा-स्वास्थ्य आमजन से दूर, जिम्मेदारों को भागवत का संदेश, उन्होंने कहा कि परिवार व्यवस्था को ध्वस्त करने के हो रहे प्रयास

 

RNE Network.

' आज शिक्षा और स्वास्थ्य, दोनों ही आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गए है। पहले ये दोनों काम सेवा के नाते किये जाते थे। अब मनुष्य की सोच ने इसे कमर्शियल बना दिया है। ' ये बातें संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कल माधव सृष्टि आरोग्य केंद्र के सात मंजिला आधुनिक चिकित्सा भवन के शुभारंभ पर कही।
 

जिम्मेदारों को दिखाया आईना:
 

भागवत ने महंगी होती जा रही शिक्षा और स्वास्थ्य के वर्तमान परिदृश्य को सामने रख जिम्मेदारों को आईना भी दिखाया। उन्होंने कहा, स्वास्थ्य और शिक्षा आज समाज की बड़ी आवश्यकता है। स्वास्थ्य शरीर से ही शिक्षा हासिल की जा सकती है, इसलिए व्यक्ति शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए हर समर्पण करता है। 
 

आज दोनों ही आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गए है। इस बारे में सोचा जाना चाहिए। सामाजिक सद्भाव बैठक में उन्होंने कहा कि भारत मे धर्म और राष्ट्र एक ही बात है। सभी समाज मिलकर राष्ट्र व हिन्दू समाज के प्रश्नों का समाधान करें।
 

परिवार व्यवस्था पर हो रहा प्रहार:
 

डॉ मोहन भागवत ने सामाजिक सद्भाव बैठक में कहा कि समाज में तो सद्भावना है, यह अपनेपन का संबंध है। यह सोसायटी अर्थात सोशल कांट्रेक्ट नहीं है। समाज में व्यक्ति व परिवार दोनों की सत्ता होती है। समाज का एक सामान्य उद्देश्य धर्मयुक्त जीवन होता है। 
 

मनुष्य को शरीर और उपभोग की वस्तु मानने वाले विचार ने पूरे यूरोप को ध्वस्त किया तथा अब भारत की परिवार व्यवस्था को ध्वस्त करने का प्रयास कर रहा है। एक अन्य सत्र में उन्होंने कहा कि हिंदुओं को परिवार के विस्तार पर जोर देना चाहिए। बेहतर हो कि परिवार में 3 बच्चे हों और संयुक्त परिवार हो।