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 "कविता हर जगह, हर वस्तु में महसूस की जा सकती है", श्रीगंगानगर में लेखक से मिलिए में बोले जसवीर त्यागी

 

RNE Network.

वरिष्ठ कवि एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में हिंदी के प्रोफेसर डॉ. जसवीर त्यागी ने कहा है कि हर व्यक्ति में कोई न कोई गुण अवश्य होता है। इसी के चलते वह अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल होता है। कवि और साहित्यकार भी इनमें ही शामिल हैं।
 

वे रविवार को यहां महाराजा अग्रसेन विद्या मंदिर स्कूल में सृजन सेवा संस्थान के मासिक कार्यक्रम ‘लेखक से मिलिए’ की 130वीं कड़ी में बतौर लेखक संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कविता हर जगह, हर वस्तु में महसूस की जा सकती है। बस उसे महसूस करने वाली शक्ति आपके भीतर होनी चाहिए।
 

व्यक्ति जिस व्यवसाय में होता है, उसका असर उसके व्यक्तित्व पर अवश्य पड़ता है। मेरे हिंदी अध्यापन कार्य का असर निश्चय ही मेरे लेखन पर पड़ा है। डॉ. त्यागी ने कहा कि वे स्वयं को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें डॉ. रामविलास शर्मा और डॉ. रामदरश मिश्र जैस वरिष्ठ रचनाकारों का सान्निध्य मिला। इनसे उन्होंने बहुत कुछ सीखा है।
 

कार्यक्रम के दौरान डॉ. त्यागी ने अपनी छोटी-छोटी कविताओं से समां बांध दिया। मुक्तछंद की उनकी कविताओं में समयबोध स्पष्ट झलक रहा था। उन्होंने कविता को महसूस करने की बात करते हुए कहा, ‘‘मैंने नवजात शिशु को देखा/शिशु देर तक/ मेरी अंगुली पकड़े रहा/मैं एक अलौकिक/ आत्मीय ऊर्जा से भर गया/पहली बार/ मुझे अहसास हुआ/हम कविता को/ छू भी सकते हैं।’’ इसी तरह उन्होंने मनुष्य के मनुष्य बने रहने का संदेश भी अपनी कविता के माध्यम से देने का प्रयास किया और कहा, ‘‘स्वीकार बचा रहे/आभार बचा रहे/प्यार बचा रहे/किसी के दुख में/खुश न होऊं/किसी की खुशी में/दुखी न होऊं/बस! इतना संस्कार बचा रहे।’’
 

विशिष्ट अतिथि सेबी से रजिस्टर्ड एनालिस्ट सीए-सीएफए वत्सल खेमका ने कहा कि डॉ. त्यागी की कविताएं दिल को छू लेने वाली हैं। उनके जैसे कॉमर्स के विद्यार्थी को भी अहसास हुआ कि प्रेम और प्रमेय, शब्द और अंक, शे’र और शेयर, साहित्यकार और लेखाकार यानी आर्ट एंड कॉमर्स भी साथ हो सकते हैं। मिल सकते हैं।
 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इंजीनियर एवं आर्किटेक्ट गुंजन दाधीच ने कहा कि कविता आत्मिक संतुष्टि का एक सशक्त माध्यम है, इसका अहसास पहली बार यहां आकर हुआ है। यहां एक अनोखा मेल यह भी मिला कि कला, विज्ञान और वाणिज्य एक ही मंच पर थे। यह क्रम निरंतर बना रहेगा, ऐसी उम्मीद है।
 

इस दौरान कुछ श्रोताओं ने डॉ. त्यागी से कुछ सवाल भी किए, जिनके उन्होंने बहुत सहजता से जवाब दिए। इनमें द्वारकाप्रसाद नागपाल, सुरेश कनवाडिय़ा, कृष्णकुमार आदि शामिल थे।
इससे पहले, सचिव कृष्णकुमार आशु ने डॉ. त्यागी का परिचय दिया। संचालन डॉ. संदेश त्यागी ने किया।

 

कार्यक्रम में चंद्रभानु त्यागी, अरुण खामख्वाह, सुरेंद्र कुमार, सुन्तरराम, सरदूलसिंह, राकेश मितवा, संजय खेमका, डॉ. ओपी वैश, बनवारीलाल शर्मा, अरुण उर्मेश, बनवारीलाल वर्मा, सुषमा गुप्ता, चित्रलेखा शर्मा, गौरमोहन माथुर, जतिन शुक्ल, नीतू बिश्नोई, आनंद मायासुत, अणुव्रत आनंद, नेहा शर्मा, ममता आहुजा, मीनाक्षी आहुजा, सतीश वर्मा, अशोक दुआ, प्रेमलता, मनोज कुमार सैन मनवा, आशाराम भार्गव, वीरेंद्र खुराना, डॉ. विशाल छाबड़ा, डॉ. रामप्रकाश शर्मा, डॉ. हरीश कंसल, मनीराम सेतिया, डॉ. एनपी सिंह, सत्य रत्तीवाल, करण बिरथलिया, अंजु नारंग, सरोज दाधीच, ऋतुसिंह, जीपी सिंह अरनेजा, डॉ. बबीता काजल सहित अनेक साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी मौजूद थे।

डॉ. त्यागी को मिला सृजन साहित्य सम्मान:
 

कार्यक्रम में डॉ. जसवीर त्यागी को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए ‘सृजन साहित्य सम्मान’ प्रदान किया गया। उन्हें कार्यक्रम अध्यक्ष गुंजन दाधीच और विशिष्ट अतिथि वत्सल खेमका, सृजन के संरक्षक विजयकुमार गोयल व अध्यक्ष डॉ. अरुण शहैरिया ‘ताइर’ ने शॉल ओढ़ाकर, सम्मान प्रतीक और पुस्तक भेंट करके सम्मानित किया।