Sustainable Aviation Fuel : फूड आइटम्स को तलने के बाद बचे हुए तेल की होगी बिक्री, हरियाणा की रिफाइनरी को मिला लाइसेंस
खाद्य तेल से तैयार हुए सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) उड़ान भरेंगे विमान
घरों में खाद्य तेल को दो से तीन बार फूड आइटम्स तलने के बाद अक्सर उसको फैंक दिया जाता है, लेकिन अब इस तेल को फैंकने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि उस तेल को खरीदा जाएगा। उनके बचे हुए इस खाद्य तेल के बाद हवाई जहाज में उड़ाने में प्रयोग होने वाले तेल में बदला जाएगा।
इसके लिए इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन को देश का पहला लाइसेंस मिला है। यह लाइसेंस भी हरियाणा की पानीपत में स्थित रिफाइनरी को मिला है। इस तेल में घरों व होटल में बचे हुए खाद्य तेल को सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) बनाया जाएगा। इसके बाद इस तेल को विमान कंपनियों को सप्लाई किया जाएगा।
कंपनी के चेयरमैन अरविंदर सिंह साहनी ने बताया कि सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) नॉन-पेट्रोलियम फीडस्टॉक से बना एक वैकल्पिक ईंधन है, जो एयर ट्रांसपोर्टेशन से होने वाले उत्सर्जन को कम करता है। उपलब्धता के आधार पर, इसे ट्रेडिशनल एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF या जेट ईंधन) में 50 प्रतिशत तक मिलाया जा सकता है।
भारत ने 2027 से अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन कंपनियों को बेचे जाने वाले जेट ईंधन में एक प्रतिशत सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल मिलाए जाने को अनिवार्य कर दिया है। इंडियन आयल को यह लाइसेंस इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन (ICAO) ने दिया है।
सालाना 35000 टन सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल होगा तैयार
कंपनी के अनुसार वर्ष 2025 के अंत तक पानीपत रिफाइनरी में लगभग 35,000 टन सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) का उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए एजेंसियों द्वारा बड़े यूजर्स जैसे कि होटल चेन्स, रेस्टोरेंट और हल्दीराम जैसी स्नैक्स और मिठाई बनाने वाली कंपनियों से संपर्क किया गया है, ताकि वहां से तेल को इकट्ठा किया जा सके। उसके बाद इसकी सप्लाई पानीपत रिफाइनरी को की जाएगी।
आमतौर पर एक बार इस्तेमाल के बाद खाना पकाने के तेल को फेंक देते हैं। अभी इस इस्तेमाल किए हुए तेल को एजेंसियों इकट्ठा करती हैं और फिर इसका एक्सपोर्ट होता है। कंपनी द्वारा इस तरह के तेल को घरों से इकट्ठा करने के लिए समाधान खोजने की तैयारी की जा रही है।