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किसी व्यक्ति को ऐसी लड़ाई आयोजित करने का कोई अधिकार नहीं

 

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मद्रास हाईकोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा है कि तमिलनाडु में मुर्गों की लड़ाई को सांस्कृतिक परंपरा का दर्जा नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने कहा है कि यह पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत प्रतिबंधित है।

अदालत ने यह टिप्पणी उस याचिका पर की , जिसमें एक व्यक्ति ने बिना चाकू के मुर्गों की लड़ाई करने की अनुमति मांगी थी। अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति को ऐसी लड़ाई आयोजित करने का कौई कानूनी अधिकार नहीं है। भले ही यह प्रथा राज्य में प्रचलित हो, लेकिन इसे संस्कृति नहीं कहा जा सकता।