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डांगा के वीडियो के बाद राजनीति में उथल पुथल, भाजपा के नेता ही डांगा के विरोध में उतरे

रिछपाल मिर्धा का बयान, ज्योति मिर्धा मिली मोदी - शाह से
हनुमान को मिला फिर से हमलावर बनने का मौका
डांगा अभी राजनीतिक मुसीबत में घिरे, पार्टी को जवाब भेजा
 

मधु आचार्य ' आशावादी '

RNE Special.
 

तीन विधायकों के विधायक निधि को लेकर आये स्टिंग ने सबसे ज्यादा प्रदेश की भाजपा राजनीति को हिलाया है। हालांकि एक कांग्रेस व एक निर्दलीय विधायक भी इस प्रकरण में कैमरे में कैद हुए है। मगर भाजपा के विधायक की चर्चा ज्यादा है। उसकी अपनी खास वजह है।

नागौर के विधायक रेवन्त डांगा ने उप चुनाव में रालोपा सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल की पत्नी को हराया था। यह सीट हनुमान बेनीवाल के लोकसभा चुनाव जीतने के कारण खाली हुई थी। एक तरह से डांगा ने हनुमान से सीट छीनी थी। डांगा पहले रालोपा में ही थे।
 

सियासत में आई गर्माहट:
 

रेवंतराम के साथ उप चुनाव में भाजपा की पूरी सरकार के साथ मिर्धा परिवार, ज्योति मिर्धा व रिछपाल मिर्धा ने भी पूरी शक्ति लगाई। इनकी खुनस हनुमान से थी। अब डांगा के जीतने से नागौर में नए सियासी समीकरण बनने लग गये थे। डांगा का नाम मंत्री पद के लिए भी चल पड़ा था। यदि मंत्री बन जाते तो एक नई सियासी शक्ति नागौर में खड़ी हो जाती। 

अब डांगा का वीडियो आते ही पार्टी व सरकार उन पर नाराज हो गयी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने नोटिस दिया, जिसका कल डांगा ने जवाब भेजा है। अब उनको विधानसभा की सदाचार कमेटी के सामने पेश होना है। ये आदेश विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने दिया है। नागौर की राजनीति में उथल पुथल के संकेत अब मिलने शुरू हो गये।
 

भाजपा के नेता ही हमलावर हुए:
 

रालोपा सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल के डांगा पर हमलावर होने की बात तो स्वाभाविक है। वे तो पहले से ही उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे है। अब रालोपा ने कार्यवाही, गिरफ्तारी व सदस्यता समाप्त करने की मांग की है। इस प्रकरण को खींवसर पर कलंक भी बताया है।

बढ़चढ़कर डांगा का साथ देने वाले रिछपाल मिर्धा हनुमान के विरोधी है। मगर इस प्रकरण में खुलकर बोले है। यहां तक कह दिया कि डांगा ने खींवसर की नाक कटवा दी। उनके खिलाफ कार्यवाही तक की मांग मिर्धा ने की है।
 

ज्योति मिली पीएम व शाह से:
 

वहीं डांगा के चुनाव की कमान संभालने वाली ज्योति मिर्धा ने कल पीएम नरेंद्र मोदी व गृहमन्त्री अमित शाह से मुलाकात की। जाहिर है, भाजपा विधायक के प्रकरण पर भी बात हुई है। कुल मिलाकर नागौर में अब नए राजनीतिक समीकरण बनने शुरू हो गए है।