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Jhalawar School Collapsed : पिपलोदी की घटना से क्या बीकानेर नगर निगम लेगा कोई सबक ! अनेक जर्जर भवन बन सकते हैं बड़ी दुर्घटना की वजह

पिपलोदी की घटना से क्या नगर निगम लेगा कोई सबक ??
अनेक जर्जर भवन कभी भी बन सकते हैं बड़ी दुर्घटना की वजह
हर बार मानसून से पहले जर्जर मकानों की लिस्ट होती है तैयार
कभी भी उनको लेकर कार्यवाही नहीं करता नगर निगम
दबाव के  चलते लोगों को रिस्क में डाल रहा निगम
कठोर कार्यवाही की जरूरत है जन हित में
 

रितेश जोशी

RNE Special.
 

झालावाड़ के गांव पिपलोदी में कल स्कूल की छत गिरने का दर्दनाक हादसा हुआ। पूरा देश स्तब्ध रह गया। इस घटना से हर नागरिक गुस्से में है। बच्चों का कसूर क्या था, उनको तो बिठाया गया था उस जर्जर छत के नीचे। यदि उस छत को स्कूल के शिक्षक, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, शिक्षा अधिकारी, पंचायत के अधिकारी, पंच, सरपंच, प्रधान, जिला प्रमुख, विधायक, सांसद, जिला कलेक्टर आदि ने नहीं देखा तो उनकी भी उतनी ही जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। 

ये हादसा ब्यूरोक्रेसी की नेगलीजिएंसी को तो दर्शाता ही है, साथ मे जन प्रतिनिधियों की घोर लापरवाही को भी सामने लाता है। इस घटना के लिए लीपापोती नहीं की जानी चाहिए। जिम्मेदारी नीचे से ऊपर तक तय कर सजा दी जानी चाहिये, तभी उन बच्चों को न्याय मिलेगा। पूरा न्याय तब होगा जब शिक्षा विभाग व सरकार हर जर्जर स्कूल को दुरस्त करेगी। ताकि बच्चों को छत राहत दे, आहत न करे।
 

बीकानेर निगम प्रशासन जागेगा ?
 

पिपलोदी की घटना से बीकानेर भी सहम गया है। अभी मानसून है। दो तेज बारिश हो चुकी। आगे और बारिश होनी है। मगर पिपलोदी की घटना से लगता है नगर निगम कोई सबक सीख ही नहीं रहा।
बीकानेर में भी अनेक पुराने जर्जर भवन, हवेलियां व मकान है। ये कभी भी मानसून में बड़ी दुर्घटना की वजह बन सकते है। इनको निगम अपने कार्मिकों के जरिये चिन्हित भी करवाता है। कल की पिपलोदी की घटना के बाद नगर निगम ने बीकानेर में तो जर्जर भवनों को लेकर कोई एक्शन तत्काल किया नहीं है। निगम को अंदाजा ही नहीं कि अनेक भवन पिपलोदी की तरह जानलेवा भी बन सकते है। निगम की ये अनदेखी लोगों को भारी पड़ सकती है।

हर बार केवल लिस्ट बनती है:
 

नगर निगम हर बार मानसून से पहले अपनी रीत की लकीर पीटता है। जर्जर भवनों की सूची सर्वे के बाद तैयार करता है। उन मकानों के मालिकों को नोटिस देने की औपचारिकता भी पूरा करता है। बस, इतिश्री कर बरसात का आनंद उठाने में लग जाता है। कार्यवाही कुछ भी नहीं करता। लिस्ट फाइल में लगी ही रहती है।
 

कार्यवाही क्यों नही करता निगम:
 

सर्वे के बाद शहर के भीतरी भाग के लगभग 300 जर्जर मकानों की सूची बनी हुई है। मगर उन पर कोई भी ठोस कदम नगर निगम कभी नहीं उठाता। पता नहीं कार्यवाही से क्यों हिचकता है। ये तो ऊपरवाले की कृपा है कि कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई, मगर निगम की लापरवाही को इस कारण से माफ नहीं किया जा सकता। 

किस दबाव में रहता है निगम ?
 

साफ लगता है कि सर्वे के बाद जर्जर मकानों की सूची निगम बनाता है। उनको नोटिस भी भेजता है। मानसून का भी उसे पता होता है। इन सबके बावजूद भी निगम उन जर्जर मकानों पर स्ट्राइक नहीं करता। अनेक मामलों में लोग शिकायत भी करते है, मगर कार्यवाही नहीं होती। इससे स्पष्ट है कि निगम किसी न किसी तरह के दबाव के चलते मौन रहता है। लोगों को खतरे में डाल रहा है। जिस दिन अनहोनी हो गई तो उस दिन दबाव डालने वाले निगम को बचाने नहीं आयेंगे। ये निगमाधिकारियों को भूलना नहीं चाहिए।
 

रुद्रा न्यूज एक्सप्रेस के सवाल:
 

  1. क्या नगर निगम पिपलोदी जैसी घटना होने के बाद जागेगा ?
  2. फाइल से जर्जर मकानों की सूची निकाल निगम कब फील्ड में कार्यवाही के लिए उतरेगा ?
  3. दबाव के चलते अपनी मजबूरी को कब त्यागेगा ?
  4. जिला कलेक्टर या संभागीय आयुक्त भी तो दखल दे ?
  5. जनता को कब तक भगवान भरोसे छोड़ेगा निगम ?

 झालावाड़ जिले के मनोहर थाना क्षेत्र स्थित एक सरकारी विद्यालय में स्कूल भवन की छत गिरने से हुए हृदयविदारक हादसे पर बीकानेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के महासचिव राहुल जादुसंगत ने गहरा शोक प्रकट किया है। उन्होंने इस दुखद घटना को अत्यंत पीड़ादायक बताते हुए कहा कि मासूम बच्चों की अकाल मृत्यु ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। इस दुर्घटना में 7 बच्चों की मौत और अनेक बच्चों के मलबे में दबे होने की खबर से मन बेहद व्यथित और संवेदनशील है।

महासचिव राहुल जादुसंगत ने कहा क्या हमारे सरकारी स्कूलों की सुरक्षा और संरचना पर पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है? उन्होंने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग मांग की है कि बीकानेर जिले की समस्त विद्यालय शहर, ग्रामीण व कस्बाई क्षेत्रों में स्थित जर्जर और खस्ताहाल स्कूल भवनों की तुरंत सर्वे कराकर उन्हें चिन्हित किया जाए और उनकी मरम्मत या पुनर्निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर किया जाए।

उन्होंने बीकानेर जिले की स्थिति पर भी चिंता जताते हुए कहा कि जिले के कई सरकारी विद्यालयों की इमारतें वर्षों पुरानी हैं, जो बच्चों की जान के लिए किसी खतरे से कम नहीं हैं। शिक्षा निदेशालय और जिला प्रशासन को इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी कोई भी हृदयविदारक घटना न हो सके।

राहुल जादुसंगत ने इस दुख की घड़ी में दिवंगत बच्चों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस परिवार इस अपार दुख में शोकसंतप्त परिवारों के साथ खड़ा है। उन्होंने राज्य सरकार से पीड़ित परिवारों को त्वरित आर्थिक सहायता, घायलों के उचित इलाज और लिए विशेष पैकेज की घोषणा की मांग की। उन्होंने आगे कहा कि बच्चों की सुरक्षा के मुद्दे पर कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। यह आवश्यक है कि बच्चों के शिक्षा के अधिकार के साथ-साथ उनकी जान की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाए।