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जिला व प्रदेश कार्यकारिणी में युवाओं को मिलेगी प्राथमिकता, ओबीसी, आदिवासी, एससी, अल्पसंख्यक व महिलाओं को तरजीह

सिफारिशी लोगों को नहीं मिलेंगे इस बार पद
जो भाजपा के प्रति सॉफ्ट, उनको कोई स्थान नहीं
 

मधु आचार्य ' आशावादी '

RNE Special.
 

कांग्रेस ने संगठन सृजन अभियान के तहत अपने 45 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति तो राजस्थान में कर दी। इस बार दूसरे राज्यों के पर्यवेक्षकों की सेवाएं जिलाध्यक्ष चयन के लिए ली गयी। पूरे नहीं तो काफी हद तक अच्छे परिणाम भी प्राप्त हुए। इन जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद एआईसीसी व पीसीसी ने नए जिलाध्यक्षों को तीन बड़े काम दिए। जिसके अच्छे रिजल्ट भी आये।

दिल्ली में कांग्रेस ने बड़ी रैली की, उसमें राजस्थान से अत्यधिक भागीदारी रही। उसमें लगभग सभी जिलों ने मिले टारगेट को पूरा किया। ये एक बड़ी सफलता थी, जो कांग्रेस संगठन में अर्से बाद नजर आयी थी। 
इस दिल्ली रैली के अलावा मनरेगा का नाम बदलने पर प्रदर्शन हुआ और अरावली को बचाने के लिए भी विरोध प्रदर्शन किया गया। इन दोनों प्रदर्शनों में भी संगठन ने अच्छा काम किया। प्रदेश स्तर पर प्रदर्शन तो अच्छा हुआ ही, साथ ही अंता का उप चुनाव भी हुआ। जो सीट कांग्रेस ने भाजपा से छीनी। संगठन के स्तर पर इस वजह से कहा जा सकता है कि प्रदर्शन बेहतर रहा।

 

अब बारी पदाधिकारियों की है:
 

जिलाध्यक्ष बनाये जाने के बाद अब जिलों में पदाधिकारी बनाये जाने है। इस बार पहले की तरह प्रक्रिया नहीं होगी कि उस जिले के हर नेता से उसकी पसंद के नाम लिए और पदाधिकारी बना दिये। सिफारिश पदों के लिए इस बार नहीं चलेगी, यह भीतर ही भीतर तय कर लिया गया है। नये बने जिलाध्यक्षों को इस बार अपनी टीम बनाने में काफी स्वतंत्रता मिलेगी। उनको पीसीसी चीफ से तालमेल कर अपनी टीम बनानी है।

ठीक इसी तरह प्रदेश के पदाधिकारियों में भी बड़े बदलाव होंगे। उसकी कसरत प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा व पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा कर चुके है। क्योंकि खड़गे इन दोनों नेताओं के साथ बैठक करके निर्देश दे चुके है कि निष्क्रिय पदाधिकारियों को घर भेजा जाए। एक सूची भी रंधावा व डोटासरा खड़गे को दे चुके है।
 

प्रदेश कार्यकारिणी में तो पूरा बदलाव होगा, ये निश्चित है। प्रदेश अध्यक्ष को लेकर आलाकमान का क्या रुख है, यह अभी साफ नहीं हो सका है। एक धड़ा यह भी मानता है कि यहां भी बदलाव की पूरी संभावना है। इस सवाल का जवाब तो आने वाला समय ही देगा।
 

उदयपुर ड्राफ्ट लागू होगा:
 

काफी समय पहले कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्त्व का चिंतन शिविर उदयपुर में हुआ था। उस समय यह तय हुआ था पार्टी अब संगठन व टिकट वितरण में नीति के अनुसार हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देगी। उस ड्राफ्ट के अनुसार ही संगठन सृजन अभियान में पदाधिकारी बनाये जाएंगे।

इनको मिलेगी प्राथमिकता:
 

कांग्रेस का चाहे जिला संगठन हो या प्रदेश का अब उसमें सभी वर्गों को आनुपातिक प्रतिनिधित्व मिलेगा। महिलाओं, युवाओं, ओबीसी, एससी, आदिवासी व अल्पसंख्यकों को पूरा प्रतिनिधित्त्व संगठन के पदाधिकारियों में मिलेगा। यही फार्मूला प्रदेश पदाधिकारियों के लिए लागू होगा। जिलाध्यक्षों को इस आधार पर पीसीसी चीफ काम करने का कह भी चुके है। 
 

इसके अलावा पार्टी के जो नेता भाजपा के प्रति सॉफ्ट है, उनको किसी भी सूरत में संगठन में जगह नहीं मिलेगी। राहुल पहले ही कह चुके है कि रेस में दौड़ने वाले घोड़े चाहिए, बारात के घोड़े नहीं।