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पटना में उन्मेष: भारत के उपराष्ट्रपति ने किया समापन, संस्कृति मंत्रालय प्रतिवर्ष आयोजन पर कर रहा विचार

 
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 एशिया के सबसे बड़े साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ का समापन समारोह भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। ज्ञान भवन, सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र, पटना में आयोजित भव्य समारोह में बिहार के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ़ मोहम्मद खान, बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा, माननीय पर्यटन मंत्री, बिहार सरकार श्री राजू कुमार सिंह, साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष श्री माधव कौशिक, उपराष्ट्रपति के सचिव श्री अमित खरे एवं सचिव, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार श्री विवेक अग्रवाल भी मंच पर उपस्थित थे।

अपने समापन वक्तव्य में माननीय उपराष्ट्रपति ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मैं संस्कृति, साहित्य और ज्ञान की धरती पर खड़ा होकर आप सबको संबोधित कर रहा हूँ। अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष ने विभिन्न भाषाओं के बंधन को तोड़ते हुए श्रेष्ठ साहित्य से रूबरू होने का एक यादगार अवसर उपलब्ध कराया है। संस्कृति मंत्रालय इसके लिए बधाई का हकदार है, जिन्होंने इतनी भाषाओं, अन्य देशों के लोगों को इससे जोड़ा। उन्होंने कहा कि यूरोप में कभी किसी ने उनसे भारत की भाषायी एकता पर आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि कैसे संभव है तब उन्होंने जवाब दिया था कि हम सब भारतवासी भाषा से नहीं धर्म से भी जुड़े हुए हैं। उन्मेष ने एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को बहुत अच्छे ढंग से साकार किया है। आने वाले समय में हमारी नई पीढ़ी और हमारे अन्य लेखक और चिंतक इससे प्रेरणा पाकर और बेहतर साहित्य रचने के लिए प्रोत्साहित होंगे। उन्होंने बिहार की भूमि पर जन्मी माँ सीता, भगवान बुद्ध, महावीर के साथ ही नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन्होंने ही भारत को विश्व गुरु का दर्जा दिलाने महत्त्वपूर्ण भूमिका दिलाई है। उन्होंने नालंदा के पुनः शुरू होने पर हर्ष व्यक्त किया।
अपने स्वागत वक्तव्य में सचिव, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष के अंतर्गत भारत की समृद्ध साहित्य परंपरा के सभी पहलुओं पर गहराई से विचार-विमर्श हुआ और उससे सभी भाषाओं के लोग लाभांवित हुए। उन्होंने कहा कि हम उन्मेष की सफलता को देखते हुए इसे प्रतिवर्ष आयोजित करने के बारे में सोच रहे हैं। मंत्रालय चाहता है कि आने वाले समय में नई पीढ़ी पुस्तकों और साहित्य से विशेष तौर से जुड़ सके। उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री द्वारा ज्ञानभारतम् जो कि पांडुलिपि संरक्षण की बड़ी परियोजना है, के बारे में बताते हुए कहा कि इससे हमारे देश में लिपि और भाषाओं के विकास को संरक्षित कर इसके अनुवाद प्रकाशन के द्वारा नई पीढ़ी को उससे अवगत कराने में विशेष सहायता मिलेगी।
साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव का शुभारंभ बिहार के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ़ मोहम्मद खान ने किया और समापन भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने किया। उन्होंने इस आयोजन को साहित्य का महाकुंभ कहते हुए कहा कि इस उत्सव में साहित्य और कला की सभी विधाओं का समन्वय देखने को मिला है, जो दुर्लभ है। उन्होंने इस आयोजन की सफलता के लिए संस्कृति मंत्रालय को धन्यवाद ज्ञापित किया।
समारोह को माननीय पर्यटन मंत्री, बिहार सरकार श्री राजू कुमार सिंह एवं बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने भी संबोधित किया और बिहार की धरती पर सभी का हार्दिक स्वागत और अभिनंदन व्यक्त किया।
आज 19 सत्रों 112 साहित्यकारों ने भाग लिया। आज आयोजित कुछ महत्त्वपूर्ण सत्र थे - भारत में लोकसाहित्य, मिथ और यथार्थ से शहरी असंबद्धता, कालजयी मध्यकालीन और आधुनिक भारतीय साहित्य में व्यंग्य, साहित्य और पर्यावरणशास्त्र की भाषा, भारतीय बाल साहित्य में विविधता का चित्रण आदि प्रमुख थे। इसके अतिरिक्त कहानी-कविता पाठ के 11 सत्र आयोजित हुए। आज का मुख्य आकर्षण प्रख्यात अभिनेता अमोल पालेकर और संध्या गोखले से बातचीत और ग्रेमी पुरस्कार विजेता रिकी केज की संगीत प्रस्तुति भी रही।
ज्ञात हो कि इससे पहले यह अंतरराष्ट्रीय उत्सव शिमला एवं भोपाल में आयोजित हो चुके हैं।