{"vars":{"id": "127470:4976"}}

चुनावी गणित उलझी, जातीय समीकरण गड़बड़ाए, नरेश मीणा के कारण कांग्रेस को परेशानी होगी

वहीं रामपाल मेघवाल भाजपा का चुनावी गणित बिगाड़ेंगे
दोनों निर्दलीय कांग्रेस व भाजपा के वोट काटने का काम करेंगे
चुनावी गणित गड़बड़ाने से अभी से परिणाम भी उलझ गया
निर्दलीयों के कारण बड़ी हार - जीत की संभावना हुई क्षीण
 

मधु आचार्य ' आशावादी '

RNE Special.
 

राज्य की पूरी राजनीति इन दिनों बारां की अंता सीट पर केंद्रित छप गयी है। भाजपा व कांग्रेस ने राज्य के अपने सभी प्रमुख नेताओं को इस सीट पर उतार कर इसे प्रतिष्ठा का चुनाव बना दिया है। 

कांग्रेस ने इस चुनाव के लिए अपने जो स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है, उसमें राज्य से किसी भी बाहर के नेता को शामिल नहीं किया है। राज्य के नेताओं के जिम्मे ही यह उप चुनाव छोड़ा है। भाजपा भी अपने प्रदेश के नेताओं को यहां उतार रही है। मगर दोनों ही दल निर्दलीयों से ज्यादा परेशान है। क्योंकि दोनों दलों के बागी निर्दलीय के रूप में चुनाव में उतरे हुए है। नरेश मीणा कांग्रेस से जुड़े थे मगर देवली उणियारा चुनाव निर्दलीय लड़ा। यहां भी पहले  सोशल मीडिया के जरिये राहुल गांधी से कांग्रेस का टिकट मांगा। पार्टी ने जब प्रमोद जैन भाया को टिकट दिया तो निर्दलीय ताल ठोक दी। 

यही स्थिति भाजपा की है। यह क्षेत्र परिसीमन से पहले अटरू विधानसभा का हिस्सा था। यहां से रामपाल मेघवाल ने चुनाव जीता था।  उन्होंने इस बार भी टिकट मांगा। नहीं मिला तो वे भी निर्दलीय उतर गए है। जिससे भाजपा परेशानी में आ गयी है।
 

दोनों निर्दलीय  गणित बिगाड़ेंगे:
 

नरेश मीणा व रामपाल मेघवाल चुनावी गणित को पूरी तरह बिगाड़ेंगे। इसकी भी अपनी वजह है। क्योंकि दोनों ही दोनों पार्टियों के वोट काटने का काम करेंगे।
 

अंता सीट पर चुनाव में भाजपा के मीणा उम्मीदवार ही जीते थे और नरेश मीणा कांग्रेस के थे, इस सूरत में मीणा वोट कटेंगे और नुकसान भाजपा व कांग्रेस, दोनों को होगा। 
 

रामपाल मेघवाल अजा वर्ग से ही है और यह कांग्रेस का वोट बैंक है, वे भाजपा के विधायक रहे है। इस सूरत में उनको मिलने वाले वोटों से भाजपा व कांग्रेस, दोनों को नुकसान होगा। जो कम नुकसान कर लेगा वह फायदे में रहेगा। मगर निर्दलीय दोनों दलों का चुनावी गणित बिगाड़ रहे है, यह स्पष्ट है।
 

उलझ गया अंता का चुनाव:
 

इस तरह देखा जाए तो एक तरह से अंता का चुनाव पूरी तरह उलझ गया है। राजनीति के जानकार कुछ भी कहने से फिलहाल बच रहे है। यह स्थिति अंतिम समय तक बनी रहेगी।
 

बड़ी हार - जीत नहीं होगी:
 

निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव को रोचक बना दिया है। जिससे लगता है कि इस सीट पर कांटे का मुकाबला होगा और हार - जीत का अंतर भी ज्यादा नहीं रहेगा।